Or
Create Account l Forgot Password?
कवितागजल
ग़ज़ल का एक मतला और एक शे'र ज़िदंगी में आशिकी वाला कभी कॉलम न भरना बात याद है न ठंडी आग से चिलम न भरना एक कातिब के लिए क़िर्तास कलम ही बहुत है जाँ-निसार खामखा के बेफिजूल गम न भरना नितिन पंडित(कॉमरेड)