कविताअतुकांत कविता
#खामोशी बातों में
ये मिलना भी कैसा मिलना...?
जो दिल के बंद दरवाजे़ खुलते नहीं,
इधर भी लगाम जु़बां पर
उधर भी चुप्पी होठों पर,
खामोशी बातों में, हया मुलाकातों में
नाउम्मीदी दिन में, बेख़याली रातों में,
बीत गया उम्र का एक लंबा हिस्सा
इसी कश्मकश में, उलझन भरी रातों में,
दिन, महीने, साल के इंतजार का
अब नहीं है सब्र मुझे....
जी चाहता है सिले लब खोल दूॅं अब,
कह दूं दिल की बात बातों में.. ।
अमृता पांडे