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राजा-रंक सभी फल ढ़ोते - Dr. Rajendra Singh Rahi (Sahitya Arpan)

कवितागजल

राजा-रंक सभी फल ढ़ोते

  • 101
  • 3 Min Read

राजा-रंक सभी फल ढ़ोते...

लगा रहे बोतल में गोते
बोल रहे हैं रटकर तोते...

सावधान रहना ही होगा
दीवार के कान जो होते...

उनको मत इंसान समझना
जो जन में नफ़रत है बोते ....

पता सभी को इतना है ही
कहाँ लाभ नेता जी खोते.....

जिनका अपना ध्येय अधूरा
नहीं चैन से वह है सोते......

बैठ गए जो जीवन रण में
वह आगे चल करके रोते.....

जिनके तन पर दाग नहीं है
पूछो मत आखिर क्यों धोते....

समय बड़ा बलवान है 'राही'
राजा-रंक सभी फल ढ़ोते....

डाॅ. राजेन्द्र सिंह राही

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