कवितालयबद्ध कविता
बैठे रहो बाहों में बातों में शाम कर दो।
कुछ यूं जिंदगी अपनी तुम मेरे नाम कर दो।
लबों का समंदर आंखों तक छलक जाए
तुम प्यार में इम्तिहान का अंजाम कर दो।
शुरुवात तुझसे हो एक नशे की तरह मेरी
प्यार में इतना गिरूँ कि बदनाम नाम कर दो।
मुकम्मल हर दुआ चाँद की रात हो जाये।
देकर आज नाम अपना मुझे बेनाम कर दो।
पकड़ तेरी गहराई में घिरती चली जाए ये
मुझे तुझमें डूबने का एक बार इल्जाम दे दो।
नही आता प्यार करना कह दो यही हाय
आँख मारने से दिल चुराने का पैगाम दे दो। - नेहा शर्मा