कवितालयबद्ध कविता
#धोखा, #दर्द_ए_मोहब्बत...
ऐतबार कर लिया होता..
इज़हार कर लिया होता..
ना मिलता इश्क़ मे धोखा..
तो प्यार कर लिया होता..
बहुत चाहा तुझे मैंने..
अपनी भी जान से ज्यादा..
ना झूठे वादे करती तो..
फना भी रूह कर देता...
बहुत तड़पा हूं तेरे इश्क़ मे..
बहुत तड़पेगी तू भी अब..
तड़प भी खत्म कर देता..
गर सच्चा इश्क़ तेरा होता..
बहे मेरी आंख के आँसू..
जो पिघले मोम की तरह..
उन्हे भी भूल मै जाता..
तुझपे ऐतबार गर होता..
जब भी दीदार हुआ तुझसे..
बहुत खुश था ये पागल दिल..
अब तू गर याद भी आयी..
तो दिल सारी रात है रोता..
कमी क्या थी मोहब्बत मे..
जो तुम ने ऐसे ठुकराया..
ना रखती इश्क़ मे शर्ते..
ये दिल बेजार ना होता..
ऐतबार कर लिया होता..
इज़हार कर लिया होता..
ना मिलता इश्क़ मे धोखा..
तो प्यार कर लिया होता..
#स्वरचित विनय गौतम..