Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
हादसों कि मोमबत्तियां - kiran k (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

हादसों कि मोमबत्तियां

  • 274
  • 4 Min Read

बहुत आसान है हादसों के बाद मोमबत्तियां लेकर सड़कों पर उतरना,
करना है तो करो इतना कि खुद की नजरों से किसी को ना कर बरहना।

सुनते है गर चीखें किसी की कान ना बंद कर के तुम गुजरना,
थोड़ी सी हिम्मत कर उस ज़ुल्म से मिलकर तुम रावण से लड़ना

फायदा ही क्या हादसों के बाद हल्ला कर या शांति से मोमबत्ती जलाना,
किसी कमजोर को हादसों से बचा सकें कभी तो खुद को सही समझना।

गूंगे बहरे से होते है या बस अफसोस जताते है कि बात दूसरे की होती है,
मुर्दे नहीं है जिंदा है सभी खुली आंखों से आवाज़ से जाहिर तो करो।

कीमत आज मंदिर मस्जिद या जानवरों की इंसानों से ज्यादा है,
की किसी लड़की या गरीब से कुर्सी से ' किरन' ना मिलता कोई फायदा है।

1601669461.jpg
user-image
Alok Singh

Alok Singh 3 years ago

Wahhhh

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

एक सच्चाई और समाज की मानसिकता पर चोट करती हुई रचना। बेहद संवेदनशील लिखा है किरन

kiran k3 years ago

Thank you di

वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg