Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
नहर - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

नहर

  • 133
  • 3 Min Read

ये नहरें जानलेवा हैं।
लोग कोसते हैं इनको।
कहते हैं लोग आत्महत्या
इसी में कूदकर करते हैं।

पर उन्हें क्या पता
ये नहर बोझ उठा रही है।
उन कायरो का जो
खुद पर भरोसा नही रखते।

नहरें तो पावन थी है और रहेंगी।
बस एक दाग मानव ने लगा दिया।
दम घोट दिया है उसका
कचरा फैलाकर कर्मों का।

आखिर बचा क्या है?
एक प्रश्न चिन्ह उस अस्तित्व पर
जिसे तुम कहीं भी
बडी आसानी से लगा देते हो।

याद रखना नहर तुमको नही।
तुम नहर को मार रहे हो।
धीरे - धीरे एक दिन
रूठ जाएगी तुम सबसे ये नहर। - नेहा शर्मा

c051152a304c984044a6bd3e39288d8b_1596634415.gif
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
दादी की परी
IMG_20191211_201333_1597932915.JPG
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हाई
logo.jpeg