कविताअतुकांत कविता
#दैनिक लेखन कार्यक्रम
विषय- 'तू मुझे अपना सा लगता है "
मैं हँसती हूँ तो
वो भी हँसता है ,
मेरे आँसुओं संग
वो भी रोता है ,
मेरे हर मनोभाव का
है उसे एहसास ,
जैसे कहता हो
मैं हूँ न ! तेरे पास ,
मैं जैसी हूँ
मुझे वैसा ही बताता है ,
सच्चे दोस्त सा
मुझे समझाता है ,
बेगानों के अंधकार में
उम्मीद की किरण सा लगता है ,
हाँ ! आइना वो तू ही है
तू मुझे अपना सा लगता है....
कंचन मिश्रा की कलम से ✍️✍️
स्वरचित