Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
निगाहे-मुहब्बत से ज़ालिम ने इशारा न किया होता - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

निगाहे-मुहब्बत से ज़ालिम ने इशारा न किया होता

  • 13
  • 2 Min Read

बाजार -ए-हयात में हमने यूं ख़सारा न किया होता
गर अहबाब की हर-बात को गवारा न किया होता

इस क़दर ख़ामुशी से हम ना क़त्ल हुए होते "बशर"
निगाहे-मुहब्बत से ज़ालिम ने इशारा न किया होता

.............. © dr. n. r. kaswan 'bashar' بشر

1663935559293_1725882443.jpg
user-image
तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
1663935559293_1726911932.jpg
ये ज़िन्दगी के रेले
1663935559293_1726912622.jpg
यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg