कहानीप्रेरणादायक
नरेंद्र जी के घर पर आज त्यौहार जैसा माहौल था। घर का छोटा बड़ा हर सदस्य अपने आप को किसी न किसी काम मे व्यस्त रखे था। नरेन्द्र जी की बहू ने बीती रात जुड़वाँ बच्चो को जन्म दिया। आस पड़ोस के लोगो ने बधाइयों के गीत ही गा दिए थे जैसे। छोटा कस्बा था, जुड़वाँ बच्चो की पैदाइश की खबर तेजी से फैल गई। सभी को लगा घर मे लव कुश की जोड़ी आ गई। अब वक्त हुआ नरेंद्र जी की बहू के हॉस्पिटल से घर वापिस आने का। हाथों में बच्चो को लिए नरेंद्र जी के बहू बेटे घर मे दाखिल हुए।
"लीजिए बाऊजी, ये आपका पोता और ये पोती।" नरेंद्र जी के बेटे ने बच्चो पर हाथ फेरकर कहा। कुछ दकियानूसी सोच वाली पड़ोसी औरतों ने कहा, "ये लो, हम तो सोचे थे कि लव कुश पधारे है घर मे , यहाँ तो कुछ और ही हो गया।"
नरेंद्र जी पहले ही बहुत सुलझे हुए इंसान थे। बेटा और बेटी के बीच का फर्क करने वाली उस सोच को नरेंद्र जी ने उसी पल तोड़ दिया जब अपनी जेब से नोटों की गड्डी निकालकर दोनो ही बच्चो पर वार दी और बधाई देने आए किन्नरों के समूह को दी।
"जब दोनों बच्चों ने एक ही कोख एक साथ बाँट ली, जब भगवान ने दोनों बच्चों के लिए बीज बोने का वक़्त एक सा चुना , तो हम और तुम इंसान कौन होते है इन बच्चों के बीच फर्क करने वाले!" "मेरे घर मे आज दोहरी बधाई का दिन है। अब से मेरे घर मे पोती की पायल की झनकार और नटखट पोते की शैतानियों की आवाज एक साथ गूँजेगी। इनके आने से मुझे अपार खुशी की अनुभूति हुई इसलिए इन दोनों बच्चों के नाम होंगे
अपार और खुशी ।"
नरेंद्र जी की बात पर किन्नरों के समूह से आवाज आई, "वाह भई वाह, ये तो तुमने अनोखी बात कही सेठ जी। तुम जैसे ही लोग होते है जो समाज और देश मे बदलाव लाते है। सदके जाने को दिल करता है इन भाई बहन की जोड़ी पर। स्वागत है बच्चो, बराबरी की दुनिया मे तुम्हारा स्वागत है।"
बच्चो पर एक सा प्यार, एक सा दुलार लुटाया जाने लगा।नरेंद्र जी ने पूरे कस्बे के लोगो के सामने एक नई मिसाल कायम की। जहाँ उस जमाने मे बेटियों को बोझ समझा जाता था वहाँ नरेंद्र जी ने दोनों बच्चों को समान समझते हुए ,अपना वंश कहते हुए, बराबर लाड़ और प्यार किया। नरेंद्र जी अक्सर घर के आँगन में बच्चो को लेकर बैठ जाते और यही पंक्तिया गुनगुनाते,
एक सा होगा पालना
एक सा रहेगा बिछोना
मेरे पोते और पोती के लिए
मैं बुनूँगा एक ही सपना सलोना
न पढ़ाई में भेदभाव होगा
संपत्ति में भी होगी बराबर हिस्सेदारी
क्यूँकि मैं कर चुका हूँ
फर्क मिटाने की तैयारी
©मनप्रीत मखीजा