कवितालयबद्ध कविता
कुछ गीत- कविताये हमारी,
लिख दी जाती,
पढ़ ली जाती,
नारी- सम्मान में,
और सुनकर...
तालियाँ बजाकर,
सम्मान पा जाती,
कुछ गीत- कविताये हमारी,
पर राक्षसी प्रवृति का कुछ समाज,
अपने को स्वयं अवतरित आदर्श,
मानकर बैठा है,
नारी- अपमान की बात,
मन मस्तिष्क सोच बैठा है,
कुछ किताबें- चल सिनेमा,
नारी अपमान बङाती है,
और नारी अपमानित होकर भी चुप है,
बस....
सम्मान पा जाती,
कुछ गीत- कविताये हमारी,
आज किस ओर जा रहे है,
नारी अपमान में मोमबत्ती जला रहे है,
अपमानित द्रौपदी ने भी दु:शासन रक्त से,
बाल धोये है,
उठाये शस्त्र कुरुक्षेत्र लङे है,
पर आज शस्त्र कानून है,
और कानून के रखवाले खुद,
कानून की पट्टी बांध सोये है,
बस लङे तो लङे ,जनता प्यारी,
सम्मान पा जाती,
कुछ गीत- कविताये हमारी,