कविताअन्य
कुछ ख़्वाहिशे अधूरी हैं,
कुछ जज्बातों में खालीपन सा हैं,
कुछ रंग चेहरों के बदले हैं,
कुछ राज़ दिलों में दफ़न सा हैं,
कुछ रिश्तों ने ठुकराया हमें,
कुछ रिश्तों से रिहाई हमने ली हैं,
दर्द से रिश्ता पुराना हुआ,
मुस्कुराहाटों ने विदाई हमसे ली हैं,
जख़्म पुराने से दीखते हैं दर्द अभी पर ताज़ा हैं,
हम में अब हमारा क्या,
होना वही हैं जो उस खुदा कि रज़ा हैं,
माना कि बेगैरत थे हम,
तुम भी कहाँ दिलदार हुए,
वक़्त कि नज़ाक़त ना मैंने समझा,
तो तुम भी कहाँ समझदार हुए।
---आकांक्षा राय(अक्की)