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जिज्ञासा पुष्प की - शशि कांत श्रीवास्तव श्रीवास्तव (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

जिज्ञासा पुष्प की

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*जिज्ञासा पुष्प की*
****************
जिज्ञासा वश पुष्प ने पूछा बनमाली से
हे ,बनमाली,
हुआ...,क्या !
जो ,हम आज इस पथ पर बिछाये गये हैं |
कौन है -आने वाला ?
इस पथ पर -आज ,
क्या ,कोई महान व्यक्ति आने वाला है,
या ,फिर किसी देवता की सवारी,
कुछ तो बोलो तुम ,
हे , बनमाली..,
जिसके लिए ,
हम आज इस पथ पर बिछाये गये हैं |
हाथ जोड़ ,बनमाली बोला,
इस पथ पर आयेंगे वो सेनानी,
कफ़न ओढ़ , तिरंगे का -जो ,
हो गये -शहीद देश की आन पर,
उनके लिये ही -मैंने ,
पथ में सुमन बिछाये हैं -आज |
हे -बनमाली ,
मेरी इतनी इच्छा पूरी करना -तुम ,
जब वो आयें इस पथ पर -तब ,
कुछ पुष्प डाल देना तुम उनपर,
जो बिछा हुआ हूँ उस पथ पर आज ||

शशि कांत श्रीवास्तव
डेराबस्सी मोहाली, पंजाब
©स्वरचित मौलिक रचना
24-09-2020

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