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नशे में कलाकार
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मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है | यही इसकी पहचान नहीं है | इसकी सबसे बड़ी पहचान कला नगरी से है | जहाँ देश के सबसे उत्तम और बड़े कलाकार रहते हैं | लोग इसे माया नगरी और फिल्म सिटी के नाम से से ज्यादा जानते हैं | मन में यही आता है कि यहाँ बड़े बड़े लेखक ,गीतकार और संगीतकार ,अभिनेता रहते हैं ,जो देश में सर्वश्रेष्ठ होते हैं | देश के किसी कलाकार को यह शौक जरूर होता है कि वह मुंबई में हो | जहाँ उसे बड़े कलाकारों का सानिध्य मिलेगा और उसकी कला में एक निखार आएगा | इनके लिए मुंबई सबसे बड़ा मंच और पैसा उपलब्ध करवाता है | खासकर हिंदी भाषियों और इस क्षेत्र में बोली जानेवाली लोकभाषाओं के लिए |
पर दु:ख होता है जब ये हमारे नामी कलाकार नशे की चपेट में पाए जाते हैं | आखिर क्या कारण है कि ये नशे के आदि होते जा रहे हैं | किस प्रकार का दबाब होता है उनपर जिससे राहत पाने के लिए नशे का उपयोग करने लगते हैं | मैंने कई लेखकों और कवियों के बारे में भी सुना है कि वे जब नशे में होते हैं तभी लिखते हैं |
क्या नशा कलाकारों में विशेष प्रतिभा पैदा करती है या उन्हें उस अन्तर्जगत का दर्शन कराती है जिससे सामान्य अवस्था में ये खुद को नहीं जोड़ पाते | क्या नशा इन्हें गहरे उतरने में मदद करती है ? या नशा इनके लिए स्टेटस सिंबल की तरह है ? आखिर क्याें ये ऐसा करते हैं किस सामाजिक ,आर्थिक ,राजनीतिक ,या सांस्कृतिक दबाब के तले | ड्रग बेचनेवाले तो पैसे के लिए ऐसा करते हैं पर इसका सेवन करनेवाले किस उद्देश्य से सेवन करते हैं इसकी गहरायी में गए बिना हम इस समस्या का हल नहीं खोज सकते | रोज रोज किसी कलाकार का इससे नाम जुड़ता देख दु:ख होता है | उनके फँसने से मुझे खुशी नहीं होती ,आखिर वे बड़ी मेहनत कर उस मुकाम तक पहुँचते हैं | लेकिन शायद खुद को बरबाद कर लेने की उनकी मजबूरी क्या होती है न हम समझ पाते हैं न वो | इसे समझने के लिए हमें इसके अन्दर इसी नियत से झाँकना होगा |
कृष्ण तवक्या सिंह
24.09.2020.