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बादळी - Rajen Balan (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

बादळी

  • 24
  • 3 Min Read

जे तू बरस बादळी
ओ कृसान हिंडोला खावलो
रखगे आस ओ कंधे पर
दिन गै दोफारा बाद में खेत में जुट जावगो
जे तू बरस बादळी
ओ कृसान हिंडोला खावलो
इण माटी री गंध स्यूं
ओ कृसान सोणो उपजावगो
जे तू बरस बादळी
अठ स्वर्ग सो बण जावगो
मोर पपैया कोयल बोले
धोरा स्यूं रीस-रीस झरणा बण ज्यगा
जे तू बरस बादळी
जमीदारां स्यूं पिछो छूट ज्यागो
सरकारा स्यूं भी निजरा मिलावगो
जे तू बरस बादळी
ओ कृसान हिंडोला खावलो

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