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नेता - sakshi arora (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविताअन्य

नेता

  • 165
  • 3 Min Read

नेता
————-

संसद में बेठे नेता ,
कर रहे शोर ,
कुछ तो करना पड़ेगा ,
नहीं तो , कहलायेंगे चोर ।
माना की हम खाते हैं ,
हर योजना से ,
पैसे हम चुराते है ,
पर अबकी बार ,
जनता मे है हल्ला ,
हम पर भारी है ,
विपक्षी दल का पल्ला ।
चलो , कुछ तिकड़म लड़ाते है,
धर्म के नाम पर ,
फिर से वोट बैंक बनाते हैं।
थोड़ा सा इनकी ,
थाली में डालकर फिर से ,
झूठा आश्वासन दे जाते है ।
इस मे क्या है मुश्किल
चलो फिर , से जनता को ,
मूर्ख बनते है ,
संसद मे बेठे नेता
कर रहे शोर ।

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

एक सच्चाई है यह आज की। अच्छी रचना

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