कविताअतुकांत कविता
मेरे गले में
तेरी बांहों का घेरा हो
और मैं तेरी पीठ पर अपने नाखूनों से
लिख दूँ तेरा नाम.....
लग कर मेरे सीने से
तू कर दे मुझे मेहरबान
या अनछुआ रख कर
कर दे मुझे तू फ़ना.......
ये मेरी इश्क हक़ीकी
देख..! कर ना दे तुझे रुसवा
मैं हो कर इश्क मजाजी
रमता रहूंगा तुझमें...........!
संदीप चौबारा