कविताअतुकांत कविता
दुःख होता है
तेरे हंसने पर
मैं भी हँसने लगता हूँ
तेरे दुःख से मुझे भी
दुःख होता है
तेरे दुःखी होने पर भी
मुझे दुःख होता है
तेरे रोने पर मुझे भी
रोना आता है।
पर,
मैं तेरे साथ
रो नहीं पाता हूँ....
इसका ग़म मुझे भी है।
पर,तुम कभी रोना मत
तेरे रोने पर
दिल पर बहुत भारी
पत्थर रखना पड़ता है।
मैं तेरे साथ नहीं हूँ
फिर भी हर पल
तेरे आस पास
नजऱ आऊँगा
जब कभी भी तुम
मुझे आवाज़ दोगे तो
सामने नज़र आऊँगा।
तुम सारे ग़म मुझे दे दो
तुम सारे दुःख मुझे दे दो
तुम अपनी परेशानियां
सारी समेट कर
सौंप दो मुझे।
सब सहन कर लूंगा
तेरे सारे दुःख-दर्द
तेरे सारे ग़म
तेरी सारी तन्हाई
और समा लूंगा अपने सीने में
बिना किसी हसरत के...।।
सन्दीप चौबारा
फतेहाबाद
मौलिक एवं अप्रकाशित
०१/०८/२०२०