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कवितानज़्म
सब्र - ओ - क़रार किसी को उधार नहीं मिलता बेक़रारी मिलती है मुफ्त जब प्यार नहीं मिलता चाहने वाले की जुस्तजू में हो जाती है उम्र बसर जब किसीको मुहब्बत का हक़दार नहीं मिलता @"बशर"