कविताअतुकांत कविता
जिन्दगी
जिन्दगी एक सफ़र है,
ऊंची - नीची ये डगर है।
कभी हार का सबक है ;
तो कभी जीत का सबब है।।
जिंदगी देती कभी मौका है,
तो कभी लगती एक धोखा है।
कभी एक खूबसूरत एहसास है,
तो कभी बन जाती बुरी याद है।।
जिन्दगी लेती कभी इंतिहा है,
तो कभी खुशियों का जहां है।
कभी जिन्दगी एक आस है,
तो कभी अनबुझी प्यास है।।
कभी जिन्दगी एक छलावा है,
तो कभी झूठी शान का दिखावा है।
और अंत में,
जिंदगी श्मशान की बुझी हुई वो राख है,
जिसमें बच जाती केवल कुछ याद है।।
स्वाति सौरभ
स्वरचित एवं मौलिक