कविताअतुकांत कविता
स्वरचित मौलिक:: बेटियां नूर है
बेटियां नूर है
ईश्वर का दिया हुआ कोहिनूर है।
इनमें इतना तेज भर दो...
कि घूरने वाला भी भस्म हो जाए।
इनमें इतना वेग भर दो...
कि छूने वाला भी डूब जाए।
इन्हें इतना जिम्मेदार बनाओ...
कि सबका ये सबब बन जाए।
इन्हें इतना काबिल बनाओ...
कि आपका नाम रौशन कर दे।
ये वो कश्ती है...
जो इन्हें संवारे...
उनके लिए हूर बन जाये।
प्रियंका पांडेय त्रिपाठी
प्रयागराज उत्तर प्रदेश