कवितालयबद्ध कविता
हम खुद में बेहद खूब है और बेहद खूबसूरत है
खुद की परवाह है हमको,हम खुद की जरूरत है
ये सूरत समाज के मनचलो ने,अपनी है बिगाड़ दी
इसलिए समाज को देखते ही,हमको होती नफरत है
बेकसूर होकर भी समाज के,हर एक दंश हम सहते है
असल कसूरवार जो समाज ने,उनको दे रखी राहत है
एसिड अटैक का शिकार हम,दर्द इस बात का नही
गिला इस अहसास पर हमको,कोई देता न मुहब्बत है
मुस्कुराकर जीते हम जिंदगी,बस यही कसूर है अपना
दर्द सहकर मुस्कुरा रहे,दुनिया को इसमें भी दिक्कत है
स्वरचित-संदीप शिखर मिश्रा #वाराणसी(U. P)