Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
शायद एक दिन मैं बन पाऊँगा कवि - Krishna Tawakya Singh (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

शायद एक दिन मैं बन पाऊँगा कवि

  • 197
  • 7 Min Read

शायद एक दिन बन पाऊँगा कवि
----------------------------------------
सोचा था आज कुछ न लिखूँ
बस पढूँ सभी को
जानूँ कुछ और भी
जो अबतक जान पाया
पर लिखना पड़ा
रहा न गया बिन लिखे
इस वीरान सी हुई जिंदगी में
जब मैं खुद को
सबसे अकेला महसूस करता हूँ
जब सभी लोग मुझे भूलना चाहते हैं
ऐसे में एक तुम्हीं हो
जो मुझे याद करते हो
मैं भूला नहीं किसी को अबतक
जहाँ तक मुझे याद है
मैं उन्हे भी याद करता हूँ
जिन्होंने मेरी कलम मे कभी स्याही भरी थी |
और मेरी कविताओं की पंक्तियों में
जिनकी आकृति कभी उभर आयी थी |
मैं उन्हें भी याद करता हूँ
जिन्हें मैंने इन आँखों से कभी नहीं देखा ,
न इन कानों से उनकी आवाज सुनी
पर उन्होंने मेरी कविताओं की सराहना कर
मुझमें आगे लिखने की प्रेरणा जगायी थी |
ऐसा नहीं कि मैं अच्छा लिखता हूँ
पर उनकी सराहना
मुझमें यह विश्वास पैदा करता है
कि एक दिन
शायद मैं अच्छा लिख पाउँगा
और उनकी सराहना का
सच्चा हकदार बन पाऊँगा `
और उनका धन्यवाद पा सकूँगा
सच्चे पुरस्कार के रूप में
तब उनका आभार मुझे शब्दों से जताना नहीं पड़ेगा |
तब शायद दिल मे जो आभार उभर आएगा |
बिना कहे ,बिना शब्दों का सहारा लिए |
पहुँच जाएगा उनके दिल में
और वो पढय लेगे मुझे बिना शब्दों के
बिना लय के
मेरी आँखों में पा जाएँगे कविता की झलक |
शायद उस दिन मैं बन जाऊँगा कवि
जिसकी वहाँ भी पहुँच होगी
जहाँ नहीं पहुँच पाता रवि |

कृष्ण तवक्या सिंह
16.09.2020.

logo.jpeg
user-image
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg