लेखआलेख
# 20,21 सितंबर
विषय,,,शान्ति
विधा,,,,आलेख
शीर्षक
" भारत व विश्व शान्ति "
ॐ द्यौ शान्ति,अंतरिक्ष शान्ति
पृथ्वी शान्ति,आपः शान्ति,
वायु शान्ति,वनक्षेत्रशान्ति,
अन्नक्षेत्र शान्ति,फलक्षेत्र शान्ति,विश्व शान्ति,महादेवः शान्ति,सर्वे देवःशान्ति,सर्वे
जनाः शान्ति,सर्वम शान्ति
सा माम् शान्ति प्रभृतिभिः
ॐ शान्ति, शान्ति, शान्ति।
हमारा देश भारत शान्ति का
दूत अथवा वाहक कहा जाता है। जी,शान्ति का पर्याय ही भारत है। इतिहास साक्षी है कि भारत ने बांग्लादेश व श्रीलंका आदि देशों में शान्ति की दिशा में निर्णायक भूमिका निभाई है।विश्व शान्ति हेतु 1945 में यू एन ओ की स्थापना की गई।
हमने प्रारम्भ से ही सुरक्षा हेतु शान्ति को ही अपना शस्त्र बनाया है। सार्क देश आपसी समझौतों से ही अपने आपसी झगड़े वगैरह सुलझाते हैं। यूँ देखा जाए तो
जहाँ शान्ति है वहां शुभ ,
लाभ व बरकत हैं। कहते हैं न
कि काटने वाली कैंची नहीं वरन दो टुकड़ों को सीने वाली सुई बनो। विभाजित करने वाली दीवारे नहीं, जोड़ने वाले पुल बनो।
शान्ति की बुनियाद घर से शुरू होती है। बिना शान्ति के घर भूत का डेरा। फिर समाज में,,,नगर में,,,देश में और विश्व में। इसके बीज बचपन से ही बोए जा सकते हैं।हर मानव आत्मा में सात
अन्तर्निहित गुण--ज्ञान,प्रेम,
शान्ति,सुख,ख़ुशी,आनन्द
व शक्तियां हैं। इन्हें उभारने की ज़रुरत है। मूल्य परक शिक्षा द्वारा नौनिहालों को पूरे विश्व में संस्कारित किया जाए।
आपसी प्रेम,सहिष्णुता,धैर्य व
संतोष द्वारा राग,द्वेष,बैर ,
,ईर्ष्या,शत्रुता आदि को हराया जा सकता है। यदि गंदे पानी के ग्लास में साफ़ पानी डालते जाएं तो पानी शुद्ध हो
जाएगा।
सुना है कि शान्ति से सांस लेने दो।अर्थात पृथ्वी पर जीवन की परिकल्पना बिना
शान्ति संभव नहीं। ॐ शांति
का अर्थ है मुझ आत्मा का धर्म यानी कर्तव्य ही शांति है।
देखिए वैज्ञानिकों ने भी यह सिद्ध कर दिया है कि माहौल का प्रभाव पौधों व पशुओं पर
पड़ता है। हम शान्त हैं तो वैसी ही शांति की तरंगें हमारे
वातावरण में फैलेंगी।
यदि हम सब मानव मात्र एक
ईश्वर की संतानें हैं तो हम सब
भाई बहन हुए। फिर लड़ाई या वैमनस्य का प्रश्न ही नहीं
उठता। जीयो और जीने दो।
अंत में यही कहूंगी ,,,,
हो हो मन में है विश्वास,पूरा है
विश्वास , होगी शान्ति चारो ओर। ॐ शान्ति
सरला मेहता