कवितागजल
जब भी छुओगे मिलेगी नमी मुझमे
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
बना लिया है घर तूने दाइमी मुझमे
फिर भी कहती हो के है कमी मुझमे
फ़सल आँसुओं की रोज काटता हूँ मैं
बो गया है ये कैसी तू क़लमी मुझमे
तूफानों में उजड़ा हुआ गुलशन हूँ मैं
जब भी छुओगे मिलेगी नमी मुझमे
तू जब तलक साथ था मशहूर था मैं
बिन तेरे बस गई है गुमनामी मुझमे
मतलब की ख़ातिर निभाता हूँ रिश्ते
वर्ना बचा कहाँ है अब आदमी मुझमे
लौटा दो मुझे मेरी वो खुशगवार रातें
बिन तेरे बसे है ग़मों की तमी मुझमे
सख़्त हो गया है ज़ख़ीरा जज़्बातों का
बची कहाँ अब पहले सी नरमी मुझमे
ज़बाँ इश्क़ की परिंदो से सीखी है मैंने
ज़िंदा है वफ़ा इसीलिए काइमी मुझमे
मैं हर हाल में खुश रह लेता हूँ"अमोल"
माँ की दुआओं से है ये हलीमी मुझमे
स्वलिखित तथा पूर्णतया मौलिक
सी यस बोहरा
"अमोल"
उर्दू शब्दों के हिंदी अर्थ :-
दाइमी :- अनन्त,स्थायी
कश्ती:- नाव, नैया
नमी:- गीलापन, आर्द्रता
क़लमी:- (पौधा या वृक्ष) जो कहीं से कलम के रूप में काटकर लाया और लगाया गया हो
खुशगवार:- प्रिय ,सुखद
तमी:-अँधेरी रात
सख़्त:- कठोर, कड़ा (जैसे—पत्थर की तरह सख़्त)
ज़ख़ीरा:- कोष
काइमी:-स्थायी
हलीमी :- सहनशील अथवा सहनशीलता