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दीदार - Dipak Kumar (Sahitya Arpan)

कवितागजल

दीदार

  • 19
  • 3 Min Read

यादो के सहारे जीवन मेरा
पल पल बीता जाये
तेरे दीद को तरसे अखियाँ मेरी
पर तुम ना कभी फिर आये

मेरी खता थी क्या मुझे पता नहीं
तुम आके बता तो जाना
कभी बैठ के पल भर बाते करते
दर्द बता तो जाना
आँखे रोती रहती है मेरी
अब कौन मुझे समझाये
तेरे दीद को तरसे…

सूना सूना रहता है घर
महौल बड़ा बेरंग लगे
देखू जब चीज़ें तेरी
दबे दबे अरमान जगे
बोल ना पाउ लफ्ज़ो में
गला मेरा रूंध जाए
तेरे दीद को…

जीवन के दिन ढल जाते हैं
रहती याद कहानी है
अक्सर याद रूला जाती है
जो बाकी तेरी निशानी है
यादो की कश्ती ये हमारी
झको से लहराये
तेरे दीद को…

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