कवितागजल
मेरे वीरान जीवन में
उजाला बनके आये थे
कभी वो दिन भी थे
दिल में बस तुम ही समाये थे
मगर सब ख्वाब टूटे
और चकनाचूर हो बैठे
जो मिलके ख्वाब जीवन के
कभी हमने सजाए थे
मेरे दिल में किसी के
इश्क़ की जागीर रहती थी
बनेगी दिल की रानी वो
लकीरे मेरी कहती थी
मेरा उनपे भरोसा था
वो हमको आजमाए थे
मगर कुछ साल पहले
ना जाने क्या हुआ ऐसा
किसी के बाजुओं में आशियाना
वो बसाए थे
मै कुछ भी ना समझ पाया
कि मुझको क्यों मिला धोखा
अचानक बेवफाई का कहा से
आया ये झोका
ढह गया घर इश्क का
जो मिलके बनाये थे