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दिल्लगी - Dipak Kumar (Sahitya Arpan)

कवितागजल

दिल्लगी

  • 21
  • 3 Min Read

नज़र ना मिलाओ झुकाके यू नज़रे
तुम्हारी नज़र है बड़ी खूबसूरत
कहीं क़त्ल दिल का ना हो जाए मेरे
मुझे तुम बचाना ,मुझे तुम बचाना

बहके कदम है ओ जालिम तुम्हारे
है बातों का लहजा बड़ा आशिकाना
कहीं आशिकी तुमसे हम कर ना बैठे
है दिल ये दीवाना ,मेरा दिल दीवाना

ये होठों की नरमी ये सांसो की गर्मी
कहीं दिल हमारा ये घायल ना कर दे
कहीं हो ना जाऊ मैं तेरा दीवाना
है दिल आशिकाना,है दिल आशिकाना

किया है मोहब्बत तो उसको निभाना
कभी मुझसे तुम, ना बहाना बनाना
तुम्हारा ही दिल तो है मेरा ठिकाना
किया है मोहब्बत तो उसको निभाना
कभी आज़माना,कभी आज़माना

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