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आवाज़ - Dipak Kumar (Sahitya Arpan)

कवितागजल

आवाज़

  • 18
  • 3 Min Read

कभी-कभी ख्यालों में आता है कोई साया,
उजड़ी हुई रातों में जगाता है कोई साया।

फूलों की तरह ख्वाब भी मुरझा गए हैं अब,
यादों के चमन में बहलाता है कोई साया।

गुज़रे हुए लम्हों की कसक दिल में है बाकी,
बीते हुए कल को दोहराता है कोई साया।

आँखों में नमी, होठों पे सिसकियाँ हैं बेशुमार,
तन्हाई के आलम में हंसाता है कोई साया।

रिश्तों की तपिश में जला है दिल ये मेरा,
धड़कनों की आवाज़ सुनाता है कोईसाया

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