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रिश्तों को निभाने में जियें कि मरें - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

रिश्तों को निभाने में जियें कि मरें

  • 25
  • 1 Min Read

अब इन राब्तों की उम्रों का क्या करें
पल में पीले, पल में सूखे, पल में हरे

उन्हें हमबिन हमें उनबिन पल ना सरे
रिश्तों को निभाने में जियें या कि मरें

@"बशर"

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