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कवितानज़्म
अब इन राब्तों की उम्रों का क्या करें पल में पीले, पल में सूखे, पल में हरे उन्हें हमबिन हमें उनबिन पल ना सरे रिश्तों को निभाने में जियें या कि मरें @"बशर"