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रुको न तुम करते रहो सवालों का सिलसिला - INDER BHOLE NATH (Sahitya Arpan)

कवितागजल

रुको न तुम करते रहो सवालों का सिलसिला

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रुको न तुम करते रहो सवालों का सिलसिला
मुसलसल रहेगा जारी जवाबों का सिलसिला

था हकीकत को कब गवारा वो ठहरे आँख मे
बस आते और जाते रहें,ख्वाबों का सिलसिला

रहता हूँ आजकल,खुद मे,खोया खोया सा मै
किसी का, होने देता नहीं, यादों का सिलसिला

बरसों बाद कल मिले थे जिगरी यार से गाँव में
फिर चलता रहा रात भर शराबों का सिलसिला


इंदर भोले नाथ
बागी बलिया उत्तर प्रदेश

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