Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
अश्रुधार - डॉ उपवन उजाला (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

अश्रुधार

  • 213
  • 2 Min Read

मैं तो भर बैठा था उसको आंख में
अश्रु की इक धार में वो बह गई
ज़हन से तो मैं भुला बैठा उसे
मेरे मन की मायूसी में रह गई

मखमली तेरे कपोलों की कसम
स्वाद मधु का अब मुझे भाता नहीं
सच तो है जब फूल से लिपटे कोई
शूल से बच के कोई आता नहीं

तेरे बिन तो ये धरा निस्सार है
मेरे कानों में खुशी ये कह गई
मैं तो भर बैठा था उसको आंख में
अश्रु की इक धार में वो बह गई

✍️ डॉ उपवन 'उजाला'
उदयपुर, राजस्थान
+91 9166475705

PicsArt_09-11-01.08.55_1600101396.jpg
user-image
Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 2 years ago

वाह वाह

प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg