कवितानज़्मगजलगीत
चला गया
गोया मेरी हयात से सब कुछ चला गया
एक शोला ए जुनूँ था मुझको जला गया
कहने को राब्ता-ए-दिल उससे था बड़ा मगर
लेकिन वो जब गया तो सब कुछ भुला गया
जितने भी ख़िरदमंद थे बचकर निकल गए
एक मैं ही बावला था मुझको छला गया
वो जो उम्र भर की करता था मुझसे बातें
एक ज़रा सी बात पे रूठा चला गया