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कवितानज़्म
आसाँ नहीं "बशर" जिंदगी बसर करना गहरा है समंदर संभलकर सफ़र करना आशियाँ मकाँ दीवार- ओ -दर घर नहीं बड़ा मुश्क़िल काम है घरको घर करना © 'बशर' بشر.