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यादों का सफर - hem chandra (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

यादों का सफर

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कुछ अनचाही यादें,
चाहकर भी ना भूल पाए,
याद आये तो बहुत वो,
बस नयनजल आखों से,
ना मिटा पाए,
अब तो आखों का नीर,
थम सा गया,
बस उनकी यादों का सफर,
उनके जाने के बाद,
किसी और के आने से,
ना भुला पाए,

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