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Sahitya Arpan - Hemant Aggarwal

कविताअन्य, बाल कविता, गीत

जननी

  • Added 1 week ago
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  • 11
  • 6 Mins Read

"जननी"

इसी मिट्टी के थे लाल गोखले।
गांधी भी जिनके चेले थे।।
कुछ वीरों के थे,गुरु लाजपत।
शिष्य किसी के,भगत अलबेले थे।।
अब अपने लहू से लिख,वीरों की शहादत गिननी है।
ये भारत की मिट्टी है,वीरों की जननी
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जननी,<span>अन्य</span>, <span>बाल कविता</span>, <span>गीत</span>
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कवितालयबद्ध कविता, अन्य, गीत

परिणीता

  • Added 1 month ago
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  • 14
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"परिणीता"

तुझ बिन कुछ उस मकान में नहीं।
कबसे राह देखता रहा वहीं।।
आधा वहीं थमा हूं इंतजार में परिणीता।
हाय!शेष मुझ पर यह क्या बीता??

शशि से कौमुदी छूटी।
चमकने की तड़प नही मिटी।।
मिट गई कुंड से
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परिणीता ,<span>लयबद्ध कविता</span>, <span>अन्य</span>, <span>गीत</span>
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कविताभजन, लयबद्ध कविता, छंद, गीत

"राम अवतरण"

  • Added 7 months ago
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  • 28
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"राम अवतरण"
राजा दशरथ के पुत्र चार,सक्षम भुजदंड वपू।
श्रीराम चंद्र तेजस महान,अजर-अमर रहित रिपू।।
पुरुषशिरोमणि सनातन विष्णु,मनुष्य लोक अवतरे।
परम प्रचंड साक्षात भगवन,देव टेर से उतरे।

रावण वध
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कविताभजन, लयबद्ध कविता, छंद, चौपाई, गीत

"अंत"

  • Added 8 months ago
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  • 53
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"अंत"

अनेकों पाप तो गिने नहीं,हिसाब यदि हमें मिले।
जितने सुखों की आस हो सब,एक क्षण में यदि छिने।।
सांसारिक कर्म नही जिससे,वेदना सारी कटे।
भजन तुझे मर्म सही जिससे,भँवरा ये गगन उड़े।।

अब भी सुमन
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कविताभजन, लयबद्ध कविता, छंद, गीत

"धराकांत"

  • Added 9 months ago
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  • 54
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"धराकांत"

अधर्म छलता कमजोरों को,प्रभु तुमको कौन छले।28
छाए घोर मरण जन मन में,जीवन तुझी से पले।28
कृष्ण कोई उपाय निकालो,पड़ेगा स्वीकारना।28
हर श्वास को तुम भजन समझो,या पड़ेगा मारना।।28

जगतपिता तुम
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कविताभजन, लयबद्ध कविता, छंद, गीत

"शादी"

  • Added 9 months ago
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  • 53
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"शादी"

ईश तड़प मेरे भांति करे,प्रभु की विख्याति करें।
उमंग युगल इसी भांति करे,तभी हम शादी करें।।
जीवन मिलन से मधूर बने,प्रभु बसे न दूर घने।
प्रभु मिलन को प्रिये भजन करें,करत भजन विदुर बनें।

तुम
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कविताभजन, लयबद्ध कविता, छंद, चौपाई, गीत

"श्रीराधा-अमृत चौपाई भाग-3"

  • Added 10 months ago
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"श्रीराधा-अमृत चौपाई भाग-3"

वृंदावन धाम नित वासिनी।
निकुंज बसहुं मृदुल भाषिणी।।
भजन करूं राधा हितकारी।
राधा नाम कृष्ण सुखकारी।।

अवमाने अर्भक लकिराई।
हुलसै मात रात जुनहाई।।
बिलोक बिसमरन सिंधु
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कविताभजन, लयबद्ध कविता, छंद, चौपाई, गीत

"श्रीराधा-अमृत चौपाई भाग-2"

  • Added 10 months ago
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"श्रीराधा-अमृत चौपाई भाग -2"

धुल धूसरित कपोल कल्पना।
राधा टेर काम न पोषणा।।
कर वासना पर पद प्रहारा।
ले राधा नाम कर विहारा।।

जान औसर लियो वैरागा।
निकसी केतिक साचा रागा।।
शीश धर चारु चरण परागा।
सबै
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कविताभजन, छंद, चौपाई, गीत

"श्रीराधा-अमृत चौपाई भाग-1"

  • Added 10 months ago
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"श्रीराधा-अमृत चौपाई भाग -1"

जापक हूआ कृपया पात्रा।
टूट जाएगी अभी माया।।
राधा नाम जपे हेमंता।
मिलही जो मानव की काया।।

मन मानव बुनकर माया का।
बुनता मोह पाश का धागा।
कष्ट रचता मार्ग तुझ तक का।
कष्ट
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कवितालयबद्ध कविता

"प्रेम गाथा"

  • Added 10 months ago
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"प्रेम गाथा"

कल्पतरु सी मृदु लता,सौन्दर्य की ऐसी छटा।
देखकर अंत भी जीवंत हुआ,देवताओं का देवत्व घटा।।
श्रृंगार में झलकती दीप्ति,सौन्दर्य सुरम्य भोर सी लालिमा।
मुख पर छाई चंद्रप्रभा,शशि पर डालदे
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कविताभजन

"रावण-अंगद संवाद"

  • Added 10 months ago
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"रावण - अंगद संवाद"

प्रभु राम की आज्ञा पाकर अंगद लंका में उड़ते हुए जावें।
प्रभु राम की आज्ञा सुनाने अंगद लंकेश्वर को ढूंढते हुए आवें।।
रावण सभा में पहुंचे अंगद फिर जय जय राम की हुंकार लगावें।
सोच
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कविताभजन, लयबद्ध कविता, गीत

"ताड़का-वध प्रसंग"

  • Added 11 months ago
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"ताड़का-वध प्रसंग"

भोर अनुष्ठान गुरु संग करदोउ भाई।
विश्वामित्र संग लक्ष्मण ले,चले रघुराई।
कामाश्रम से शुभ नौका पर चढ़े रिपु राई।
मध्य धारा में सरिता की ध्वनि जब आई।
गुरुवर ने सरयू नदी की
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कवितालयबद्ध कविता

गंगा-माँ

  • Added 11 months ago
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अनवरत-अविरल बहती गंगा की धारा।
गंगा लागे माथे से गंगा मां को सदा नमन हमारा।।
भागीरथी तेरे शीतल जल में जलती है ऐसी ज्वाला।
पापकर्म सारे जलकर खाली होजाता मानव मन का प्याला।।
ओमकार की ध्वनि बहती
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गंगा-माँ ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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कवितालयबद्ध कविता

"ऊंची आस"

  • Added 1 year ago
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"ऊंची आस"

मन चाहे हर क्षण डग मग डग मग डोले।
पाप करने को चाहे जोर जोर से बोले।
पर मन की बेड़ियों में बंधना नही होगा।
आंधी टोकेंगी अंदर,तूफान रोकेंगे बाहर।
हर कोई तूझपर ही करेगा प्रहार।
पर तूफानों
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कवितालयबद्ध कविता

हरि दर्शन।

  • Added 1 year ago
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  • 4 Mins Read

चाहे कुल रूठे चाहे जग रूठे,पर हरि नाम न छुट्टे।
सपना है सारा जगत हरि,तेरे भजन नाम से टूटे।
तूं ही मेरा चिंतन, तू ही मेरा कीर्तन।
बस मेरी श्वास के साथ हरि ये कर्म टूटे।।
तूं ही सबका तत्व हरि,भजे तेरे
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हरि दर्शन।,<span>लयबद्ध कविता</span>
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