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Sahitya Arpan - Samrat Haihaywanshi
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Samrat Haihaywanshi

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  • कवितालयबद्ध कविता

    अंग-प्रदर्शन

    • Added 1 year ago
    Read Now
    • 109
    • 2 Mins Read

    मानव लोभी, काम-पिपासु,
    क्या फ़र्क करे गुण-अवगुण में?
    मूल्य नहीं नारी प्रतिभा का,
    चाह विलास की वह माया रचे।

    प्रशंसा पाती वस्त्रहीन तो
    कला और ज्ञान का आदर क्यों?
    कामी संसार और उपेक्षित नारी
    यहीं
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    अंग-प्रदर्शन ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    लयबद्ध कविता

    अंग-प्रदर्शन

    • Added 1 year ago
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    • 55
    • 2 Mins Read

    मानव लोभी, काम-पिपासु,
    क्या फ़र्क करे गुण-अवगुण में?
    मूल्य नहीं नारी प्रतिभा का,
    चाह विलास की वह माया रचे।

    प्रशंसा पाती वस्त्रहीन तो
    कला और ज्ञान का आदर क्यों?
    कामी संसार और उपेक्षित नारी
    यहीं
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    अंग-प्रदर्शन ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    लयबद्ध कविता

    अंग-प्रदर्शन

    • Added 1 year ago
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    • 35
    • 2 Mins Read

    मानव लोभी, काम-पिपासु,
    क्या फ़र्क करे गुण-अवगुण में?
    मूल्य नहीं नारी प्रतिभा का,
    चाह विलास की वह माया रचे।

    प्रशंसा पाती वस्त्रहीन तो
    कला और ज्ञान का आदर क्यों?
    कामी संसार और उपेक्षित नारी
    यहीं
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    अंग-प्रदर्शन ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    अंग-प्रदर्शन

    • Added 1 year ago
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    • 40
    • 2 Mins Read

    "अंग-प्रदर्शन"

    मानव लोभी काम पिपासु,
    क्या फ़र्क करे गुण-अवगुण में?
    मूल्य नहीं नारी प्रतिभा का,
    चाह विलास की वह माया रचे।

    प्रशंसा पाती वस्त्रहीन तो
    कला और ज्ञान का आदर क्यों?
    कामी संसार और उपेक्षित
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    अंग-प्रदर्शन ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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