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Sahitya Arpan - Adarsh Gangwar

कवितागजल

आजकल मेरे महबूब सर पर पूरा आलम उठाए हुए हैं

  • Added 1 year ago
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  • 110
  • 5 Mins Read

आजकल मेरे महबूब सर पर पूरा आलम उठाए हुए हैं
साल भर में दिखा हूँ उन्हें सो मुँह को अपने फुलाए हुए हैं
पास जाकर ख़ुदी देख लो तुम मौत आसाँ लगी है सभी को
उनके आगे फ़रिश्ते तो गर्दन जाने कब से झुकाए हुए
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आजकल मेरे महबूब सर पर पूरा आलम उठाए हुए हैं,<span>गजल</span>
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कवितागजल

कोई लैला बुलाता है

  • Added 1 year ago
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  • 90
  • 2 Mins Read

कोई लैला बुलाता है कोई मजनूँ बुलाता है
यहाँ हर शख़्स तेरे नाम से मुझको चिढ़ाता है।

ज़माने को ख़बर है जब तिरा कोई नहीं हूं मैं
ज़माना नाम से तेरे मुझे फिर क्यों बुलाता है।

न कपड़े हैं न लत्ते हैं
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कोई लैला बुलाता है,<span>गजल</span>
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कवितागजल

किसी को ये ज़मी दे दो किसी को आसमाँ दे दो

  • Added 1 year ago
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  • 99
  • 3 Mins Read

किसी को ये ज़मीं दे दो किसी को आसमाँ दे दो
मुझे कुछ भी नहीं लेना मुझे बस तात माँ दे दो।

मुझे क्या लेना देना है किसी भी काख़ ए उमरा से
मिरा जैसा है वैसा ही मुझे मेरा मकाँ दे दो।

बिना माँ का वो बच्चा
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किसी को ये ज़मी दे दो किसी को आसमाँ दे दो,<span>गजल</span>
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कवितागजल

मेरे ही घर में पूछ के लाया गया मुझे

  • Added 1 year ago
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  • 45
  • 5 Mins Read

गुज़रा हुआ फ़क़ीर बताया गया मुझे
मेरे ही घर में पूछ के लाया गया मुझे।

सबका यही सवाल था तू हँसता क्यों नहीं
मैं हँसने लग गया तो रुलाया गया मुझे।

पहले दिखाई सबने गुलाबों की सेज फिर
काँटो के बिस्तरे
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मेरे ही घर में पूछ के लाया गया मुझे,<span>गजल</span>
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कवितागजल

आपकी इक आँख को तलवार होना चाहिए

  • Added 1 year ago
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  • 98
  • 4 Mins Read

आपकी इक आँख को तलवार होना चाहिए
और सबसे तेज़ उसकी धार होना चाहिए।

आपका चर्चा करूँ तो दाद मिलने लगती है
आपको औरत नहीं अश'आर होना चाहिए।

आपकी फ़ोटो सभी चलते कमर में घुर्स के
आपको औरत नहीं औज़ार
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आपकी इक आँख को तलवार होना चाहिए ,<span>गजल</span>
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कवितागजल

मुहब्बत बेजुबा होती

  • Added 1 year ago
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  • 48
  • 3 Mins Read

मुहब्बत बेज़ुबाँ होती न बेगाना मिला होता
अगर हमको भी सजदे में ये मयख़ाना मिला होता।

किसी के वास्ते हम भी सफ़र में सिर झुका लेते
अगर जो रास्ते में कोई बुतख़ाना मिला होता।

कोई इल्ज़ाम क्यों देता
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मुहब्बत बेजुबा होती,<span>गजल</span>
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