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London is the capital city of England.
कवितागजल
आजकल मेरे महबूब सर पर पूरा आलम उठाए हुए हैं
साल भर में दिखा हूँ उन्हें सो मुँह को अपने फुलाए हुए हैं
पास जाकर ख़ुदी देख लो तुम मौत आसाँ लगी है सभी को
उनके आगे फ़रिश्ते तो गर्दन जाने कब से झुकाए हुए
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कवितागजल
कोई लैला बुलाता है कोई मजनूँ बुलाता है
यहाँ हर शख़्स तेरे नाम से मुझको चिढ़ाता है।
ज़माने को ख़बर है जब तिरा कोई नहीं हूं मैं
ज़माना नाम से तेरे मुझे फिर क्यों बुलाता है।
न कपड़े हैं न लत्ते हैं
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कवितागजल
किसी को ये ज़मीं दे दो किसी को आसमाँ दे दो
मुझे कुछ भी नहीं लेना मुझे बस तात माँ दे दो।
मुझे क्या लेना देना है किसी भी काख़ ए उमरा से
मिरा जैसा है वैसा ही मुझे मेरा मकाँ दे दो।
बिना माँ का वो बच्चा
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कवितागजल
गुज़रा हुआ फ़क़ीर बताया गया मुझे
मेरे ही घर में पूछ के लाया गया मुझे।
सबका यही सवाल था तू हँसता क्यों नहीं
मैं हँसने लग गया तो रुलाया गया मुझे।
पहले दिखाई सबने गुलाबों की सेज फिर
काँटो के बिस्तरे
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कवितागजल
आपकी इक आँख को तलवार होना चाहिए
और सबसे तेज़ उसकी धार होना चाहिए।
आपका चर्चा करूँ तो दाद मिलने लगती है
आपको औरत नहीं अश'आर होना चाहिए।
आपकी फ़ोटो सभी चलते कमर में घुर्स के
आपको औरत नहीं औज़ार
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कवितागजल
मुहब्बत बेज़ुबाँ होती न बेगाना मिला होता
अगर हमको भी सजदे में ये मयख़ाना मिला होता।
किसी के वास्ते हम भी सफ़र में सिर झुका लेते
अगर जो रास्ते में कोई बुतख़ाना मिला होता।
कोई इल्ज़ाम क्यों देता
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