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Sahitya Arpan - Rakesh Saxena
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Rakesh Saxena

'सगुन'

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  • कवितालयबद्ध कविता

    मुंह जितनी बात

    • Added 1 year ago
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    • 47
    • 2 Mins Read

    मुंह जितनी बात

    क्या आप जानते हैं?
    आप अपनों से कट रहे हैं!
    कई भागों में बंट रहे हैं!
    ऑंखों को खटक रहे हैं!
    व्यवहार से भटक रहे हैं!

    हां, आपने सही समझा।
    आप समय संग चल रहे हैं,
    हारने वालों को खल रहे हैं,
    अपनी
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    मुंह जितनी बात,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    दास्तां ए दिल

    • Added 1 year ago
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    • 101
    • 3 Mins Read

    दास्तां ए दिल

    दर्द ए ज़िगर अहसास,
    याद उसकी ताज़ा हुई।
    ऑंखों में सैलाब आया,
    प्यार निश्छल वज़ा हुई।।

    हद की भी हदें पार की,
    दिल में ना बसा सका।
    नसीब में वो थी ही नहीं,
    खु:द को ना समझा सका।।

    ताउम्र
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    दास्तां ए दिल,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    सच्चा प्यार

    • Added 1 year ago
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    • 96
    • 3 Mins Read

    सच्चा प्यार

    नयनों का नशा तेरा,
    मैंने ऑंखों से पी लिया।
    मत होना नाराज़ प्रिये,
    तेरे नशे में मैं जी लिया।।

    तू चाहे बेवफ़ा हो जा,
    तेरी यादों से मैं जी लुंगा।
    जब टूटने लगेंगी सांसे,
    मैं फ़िर से सांसे
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    सच्चा प्यार,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    गुनगुनी धूप

    • Added 1 year ago
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    • 32
    • 3 Mins Read

    #साहित्य_अर्पण
    #विषय_आधारितप्रतियोगिता
    दिनांक - 17-4-2023 से 21-4-2023 तक
    दिनाँक -19/04/2023
    विधा : कविता
    विषय - गुनगुनी धूप

    गुनगुनी धूप सुबह सुबह,
    फूलों को जगाती है।
    ओस में भीगी हरी दूब,
    अंगड़ाई ले उठ जाती है।।

    धुंध
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    गुनगुनी धूप,<span>लयबद्ध कविता</span>
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