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Sahitya Arpan - Asha Khanna

कवितालयबद्ध कविता

पता ही नहीं

  • Edited 2 years ago
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  • 118
  • 2 Mins Read

ख़ुशियाँ तो बहुत थी मगर ग़मों की भी कमी न थी
मैंने तुम्हें चाहा बहुत था
तुमने मुझे चाहा ये मुझे पता ही नहीं
मै चलती रही तुम्हारे साथ कदम दर कदम
तुमने कब छोड़ दिया मुझे पता ही नहीं
मैं जीती रही तुम्हारी
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पता ही नहीं,<span>लयबद्ध कविता</span>
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लेखअन्य

क़दर

  • Edited 2 years ago
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  • 72
  • 2 Mins Read

क़दर करो अपने समय की जो
आपको मूल्यवान बनाता है
क़दर करो अपनी मुस्कुराहट की
जो आपके चेहरे को ख़ूबसूरत बनाता है
क़दर करो अपने धैर्य की
जो विपरीत परिस्थितियों में आपको टूटने नहीं देता
क़दर करो
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क़दर,<span>अन्य</span>
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लयबद्ध कविता

मॉ तो मॉ होतीं हैं ।

  • Edited 2 years ago
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  • 46
  • 3 Mins Read

मॉ का ऑचल क्या होता है
ये सुरक्षा कवच मेरा होता है
भीगने भी नही देता ठिठुरने भी नही देता
तेरे आंचल की छॉव में बैठ जाता हूँ
तो दुनिया के सारे गम भूल जाता हूँ
कितनी भी थकी हो मेरी मां
मेरे आने
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मॉ तो मॉ होतीं हैं ।,<span>लयबद्ध कविता</span>
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लेखआलेख

साहित्य संगीत कला विहीन साक्षात पशु पुच्छ विषाणहीन

  • Edited 2 years ago
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  • 611
  • 19 Mins Read

ज्ञान और अनुभव से संचित कोष को साहित्य कहते है I साहित्य हमे समाज की पुरानी परम्पराओ रीति कुरीतियों से अवगत कराता है I साहित्य उस समय, उस काल मे साहित्यकारों द्वारा देखा गया उस समाज का आईना होता
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साहित्य संगीत कला विहीन साक्षात पशु पुच्छ विषाणहीन,<span>आलेख</span>
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कहानीप्रेरणादायक

पराधीन

  • Edited 2 years ago
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  • 99
  • 7 Mins Read

एक बार की बात है कि कुछ साधू संत एक गांव में ठहरे हुए थे वो थोड़े समय एक गांव में रहते फिर आगे किसी गांव में अपना डेरा जमा लेते थे जो कुछ कोई उनको देता था उसी से अपना भरण पोषण करते थे कभी उनको बहुत अच्छा
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पराधीन,<span>प्रेरणादायक</span>
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सुविचारप्रेरक विचार

समय

  • Edited 2 years ago
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  • 204
  • 1 Mins Read

जायदा खवाशे नही
बस ज़िंदगि का अगला लम्हा
पिछ्ला से बेह्तर हो

समय,<span>प्रेरक विचार</span>
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कवितालयबद्ध कविता

मौन की भाषा

  • Edited 2 years ago
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  • 182
  • 2 Mins Read

नैनो ने नैनो से कुछ ऐसे कहा
दिल ने दिल को ही यू पढ़ लिया
होठ बोले नहीं मोन ही मोन ने सब कह दिया
नैनो से ये शरारत हुई
दिल में दस्तक हुई
लव मचलने लगे
मेघ घिरने लगे
फुहार पड़ने लगी
न मैंने कहा न उस
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मौन की भाषा,<span>लयबद्ध कविता</span>
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लयबद्ध कविता

जीवन

  • Edited 2 years ago
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  • 105
  • 3 Mins Read

जीवन
चलने का नाम जीवन है,
जीवन का नाम संघर्ष है
संघर्ष रूपी नैया पर सवार हम,
यहा हिचकोले है बवंडर है
इन सबको पार कर किया
तब कीर्तिमान गढ़ लिया
जागकर समय के साथ चलना है
इसी का नाम चलना है
सपने देखना
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जीवन,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 2 years ago

वाह वाह

कविताअन्य

बचपन

  • Edited 2 years ago
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  • 291
  • 2 Mins Read

बचपन

हम जी रहे थे अपनी मदमस्त मस्ती मे
न कोई फिकर थी न कोई फितूर था
न कोई मकसद था न कोई स्वपन था
हर तरफ लापरवाही सा आलम था
न कोई बंधन था न समय की कोई बेड़ी थी
बस थी तो एक मदमस्त बिंदास हंसी थी
खुला
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बचपन ,<span>अन्य</span>
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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

बचपन का समय बहुत महत्वपूर्ण होता है