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Sahitya Arpan - Chandralata Yadav
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Chandralata Yadav

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  • कविताअतुकांत कविता

    *कालचक्र*

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 117
    • 2 Mins Read

    *****कालचक्र*****

    बह गया सब
    समय चक्र संग
    नाते -रिश्ते ,संगी ,साथी
    छीन ली
    यादें भी।
    जंग
    कोरोना संग
    कायदे कानून से तंग।
    जीवन समेट लेने को
    आतुर मन,
    कांपता तन,
    बचने के असफल प्रयास।
    बेसुध वक्त की
    मौन सहमति से
    कालचक्र
    आगोश
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    *कालचक्र*,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    ***ओजसपूर्ण हिन्दी ***

    • Edited 2 years ago
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    • 123
    • 3 Mins Read

    *****ओजसपूर्ण 'हिन्दी'******
    तेज ,
    तीव्रतर ,
    गति की भाषा,
    अखिल विश्व में मात्र 'हिन्दी '।
    ये जीवन का हिस्सा ।
    मेरी ,तेरी न उसकी
    सारी दुनिया की,
    आपकी है,
    मेरी है
    'हिन्दी'
    ओजसपूर्ण
    असंख्य भाषाओ की अरुणिमा,
    दुनिया
    Read More

    ***ओजसपूर्ण  हिन्दी ***,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    *कालचक्र*

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 187
    • 2 Mins Read

    *****कालचक्र*****

    बह गया सब
    समय चक्र संग
    नाते -रिश्ते ,संगी ,साथी
    छीन ली
    यादें भी।
    जंग
    कोरोना संग
    कायदे कानून से तंग।
    जीवन समेट लेने को
    आतुर मन,
    कांपता तन,
    बचने के असफल प्रयास।
    बेसुध वक्त की
    मौन सहमति से
    कालचक्र
    आगोश
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    *कालचक्र*,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    *प्यार अपने आप से कर.....*

    • Edited 2 years ago
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    • 242
    • 5 Mins Read

    *प्यार अपने आप से कर.....*
    __________________
    मन होता है
    तब तक बुला लेते हैं सब,
    चने के पेड़ पे चढ़ा देते हैं सब,
    प्रशंसा के पूल बांध देते हैं सब
    फिर भी पागल परिवार के पीछे
    कहीं कुछ ग़लत ही है।
    न कभी कुछ मांगा
    न किसी
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    *प्यार अपने आप से कर.....*,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    हर जुबां पे मैं रहूंगी......

    • Edited 2 years ago
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    • 222
    • 5 Mins Read

    "हर जुबां पे मैं रहूंगी....."
    *******************
    हिन्दी का वजूद ही कहां है?
    ये तो मृत:प्राय हो रही है,
    अंग्रेजी के सामने जरा टीक कर तो दिखाये?
    अंग्रेजी एक व हिन्दी दो पर है देखो,
    कहा है बेचारी 'हिन्दी' ?
    नहीं मानती हूं,
    'हिन्दी'
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    हर जुबां पे मैं रहूंगी......,<span>अतुकांत कविता</span>
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