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Sahitya Arpan - रूचिका राय सिवान91 बिहार
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रूचिका राय सिवान91 बिहार

'Ruchi'

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  • कविताअतुकांत कविता

    स्वाभिमान

    • Edited 3 years ago
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    • 243
    • 5 Mins Read

    जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होता है स्वाभिमान,
    यही बचाता है आदमी को आत्मसम्मान,
    स्वाभिमान नही तो जीवन व्यर्थ है इंसान का,
    इससे ही मिलता है जग में आदर और सम्मान।
    स्वाभिमान मनुष्य को सदा ही विनम्र बनाता
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    स्वाभिमान,<span>अतुकांत कविता</span>
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    लेखआलेख

    एक दूजे के लिए

    • Edited 3 years ago
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    • 269
    • 9 Mins Read

    बात तकरीबन 10 वर्ष पहले की है जब मैं शारिरिक रूप से काफी अस्वस्थ थी।घर में मैं,मेरी बहन मॉं और पापा।
    भाई पढाई के सिलसिले में हैदराबाद रहता था।मेरी बहन परछाई की तरह मेरे साथ रहती थी,मेरी हर परेशानी
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    एक दूजे के लिए,<span>आलेख</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    बहुत सुन्दर और सकारात्मक रचना

    कविताअतुकांत कविता

    उसकी बाजी उसके मोहरे

    • Edited 3 years ago
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    • 238
    • 3 Mins Read

    हम तमाशाई बने देखते रह जाते,
    वह अपनी चाल चल जाता।
    उसके चाल को कौन यहाँ कभी
    बताओ समझ पाता।

    मोहरे हैं हम दाँव उसकी ही
    अक्सर होती।
    हम योजना पर योजना बनाते,
    वह चाल पलट जाता।

    वह कभी ख़ुशियाँ बेशुमार देता,
    कभी
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    उसकी बाजी उसके मोहरे,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    अभिव्यक्ति भावों की

    • Edited 3 years ago
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    • 201
    • 3 Mins Read

    मौन हैं शब्द मगर मुखर है भावनाएँ,
    समझ सके समझ लें गहरी सी संवेदनाएँ,
    विचारों की होती है गहरी अभिव्यक्ति,
    तब निकलती ह्रदय से बनकर कविताएँ।

    प्रेरणा रूप बन जाती हैं ये सदा सी,
    निश्चल होती हैं ये सदा
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    अभिव्यक्ति भावों की,<span>अतुकांत कविता</span>
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    अतुकांत कविता

    उम्मीद की किरण

    • Edited 3 years ago
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    • 259
    • 5 Mins Read

    जब भी जीवन में अँधेरा गहराने लगा,
    बहुप्रतीक्षित उजाले की तलाश में,
    दिल प्रतिदिन टूटकर बिखराने लगा,
    तभी अनायास किसी कोने से छोटी सी
    उम्मीद की किरण
    जीवन के लिए काफी हो गयी।
    तमाम निराशाओं पर वो भारी
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    उम्मीद की किरण,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    उम्मीद की लौ

    • Edited 3 years ago
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    • 269
    • 5 Mins Read

    उम्मीद की लौ
    जब सब कुछ खत्म होने के कगार पर हो,
    अँधेरा गहरा छाने लगे चारों तरफ,
    दुखों का चौतरफा मार हताश और निराश करें,
    तभी मन के किसी कोने में जलती एक लौ
    छोटी सी उम्मीद की।
    कि शायद कल एक नई शुरुआत हो,
    कि
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    उम्मीद की लौ,<span>अतुकांत कविता</span>
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