Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
Sahitya Arpan - एमके कागदाना
userImages/50/IMG_20170228_085955_1596187644.jpg

एमके कागदाना

Writer's Pen Name not added

मेरा नाम एमके कागदाना है मैं एक लेखिका हूँ

Writer Stats

  • #Followers 20

  • #Posts 16

  • #Likes 1

  • #Comments 23

  • #Views 4768

  • #Competition Participated 0

  • #Competition Won 0

  • Writer Points 23965

  • Reader Stats

  • #Posts Read 7

  • #Posts Liked 1

  • #Comments Added 0

  • #Following 18

  • Reader Points 40

  • Genre wise ranking

    Section Genre Rank
    कहानी हास्य व्यंग्य 4th

    कविताअतुकांत कविता

    भारत के लाल

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 283
    • 2 Mins Read

    भारत के लाल

    उस महान विभूति को
    कैसे हम भूल गए
    गांधी जी को याद किया
    उनको तो भूल गए
    पैदा हुए थे उसी दिन,
    जिस दिन बापू का था हुआ जन्म
    भारत-पाक युद्ध में जिसने
    तोड़ दिये दुनिया के भ्रम।
    लालों में वो लाल
    Read More

    भारत के लाल,<span>अतुकांत कविता</span>
    user-image
    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    सुंदर दी.

    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 3 years ago

    सुंदर

    Priyanka Tripathi

    Priyanka Tripathi 3 years ago

    सत्य

    Sarla Mehta

    Sarla Mehta 3 years ago

    सच्चाई है

    एमके कागदाना3 years ago

    जी बहुत बहुत शुक्रिया

    कविताअतुकांत कविता

    काश! तुम भी समझते

    • Edited 4 years ago
    Read Now
    • 177
    • 3 Mins Read

    काश! तुम भी समझते

    काश !तुम मेरी आंखों का
    नमक महसूस कर पाते
    जैसे सब्जी में जरा सा
    नमक ज्यादा होने पर
    फटाक से चिल्ला पड़ते हो।

    काश! तुम मेरी फटी बिवाईयों के
    दर्द को महसूस कर पाते
    जैसे बिवाईयों की फटी
    Read More

    काश! तुम भी समझते,<span>अतुकांत कविता</span>
    user-image
    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 4 years ago

    वाह बहुत खूब

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 4 years ago

    बहुत सुंदर काश तुम में हज़ारों सवाल छुपे है। सुंदर रचना

    Harish Bhatt

    Harish Bhatt 4 years ago

    shandar

    user-image
    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 4 years ago

    एक स्त्री का बहुत सुंदर रेखा चित्र खींचा है आपने रचना के माध्यम से

    लेखअन्य

    डांट

    • Edited 4 years ago
    Read Now
    • 170
    • 7 Mins Read

    "शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं"।
    ## संस्मरण##
    बात उन दिनों की है जब मैं नौवीं कक्षा में थी । हमारे नये विज्ञान संकाय के अध्यापक जगदीश खयालिया जी बहुत बहुत ही रोक टोक करते थे। हमें बहुत गुस्सा
    Read More

    डांट,<span>अन्य</span>
    user-image
    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 4 years ago

    उफ़्फ़फ़ सर के बारे में सुनकर बहुत दुख हुआ। बचपन मे रोक टोक जेल ही लगती है बड़े होकर अहमियत पता लगती है लेकिन तब तक वो लोग हमारी आंखों से ओझल हो चुके होते है।

    कहानीसामाजिक

    धर्म

    • Edited 4 years ago
    Read Now
    • 198
    • 5 Mins Read

    3. धर्म
    "अरे कहां से आ रही हो सुबह सुबह इतनी ठंड में?" मिनाक्षी ने घर के बाहर झाडू निकालते हुए आश्चर्यचकित होते हुए अपनी पड़ोसन सरोज से पूछा।
    "चल चाय पीते हैं फिर बताती हूं।"
    वह मिनाक्षी को हाथ पकड़कर
    Read More

    धर्म,<span>सामाजिक</span>
    user-image
    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 4 years ago

    बहुत सुंदर लिखा है दीदी

    एमके कागदाना4 years ago

    थंक्यू

    कहानीव्यंग्य

    जोमैटो

    • Edited 4 years ago
    Read Now
    • 321
    • 8 Mins Read

    2. "जोमैटो"

    "सुनो डार्लिंग.... आज खाना बनाने का मूड नहीं है जोमैटो से ऑर्डर कर दो ना! स्वीटी बोली।
    "आं रे सूनील के कहरी सै बहू जोमटो जोमटो?" चंद्रो ने पूछा।
    "मां या नू कहवै है रोटी बणाण का जी ना करता जोमैटो
    Read More

    जोमैटो,<span>व्यंग्य</span>
    user-image
    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 4 years ago

    बढ़िया रचना दी...

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 4 years ago

    अद्भुत

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 4 years ago

    दिदी मेरे ख्याल से हर किसी को अपने हिसाब से जीने का हक है

    कविताअतुकांत कविता

    करवा चौथ पर पति की व्यथा

    • Edited 4 years ago
    Read Now
    • 246
    • 6 Mins Read

    "करवाचौथ पर पति की व्यथा"

    सुबह-सुबह जब आंख खुली।
    मैंने पत्नी को पैर दबाते पाया।।

    मैंने पूछा डीयर आज ऐसा क्या है ?
    जो तुमने इतना प्यार दिखाया।।

    थोड़ी मुस्कुराई थोड़ी शरमाई।
    बोली प्रिय करवा चौथ है
    Read More

    करवा चौथ पर पति की व्यथा,<span>अतुकांत कविता</span>
    user-image
    Maniben Dwivedi

    Maniben Dwivedi 3 years ago

    Wah

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    मन की गहराई से उमडी़ व्यथा

    Champa Yadav

    Champa Yadav 4 years ago

    सुन्दर.... कविता

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 4 years ago

    वाह वाह

    एमके कागदाना4 years ago

    शुक्रिया सर

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 4 years ago

    वाह वाह

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 4 years ago

    बढ़िया

    एमके कागदाना4 years ago

    शुक्रिया नेहा

    कविताअतुकांत कविता

    माँ की पीड़ा

    • Edited 4 years ago
    Read Now
    • 314
    • 4 Mins Read

    माँ की पीड़ा

    माँ चरखा चलाती थी
    फुर्सत मिलते ही
    तब मैं नहीं जानती थी
    कि माँ सूत नहीं कात रही
    वो समेट रही थी
    लोगड़ में अपने दर्द...
    माँ चक्की चलाती थी
    शाम सवेरे पसीने से लथपथ
    तब मैं नहीं जानती थी
    माँ
    Read More

    माँ की पीड़ा,<span>अतुकांत कविता</span>
    user-image
    Nidhi Gharti Bhandari

    Nidhi Gharti Bhandari 4 years ago

    सुंदर रचना

    एमके कागदाना4 years ago

    हार्दिक आभार जी

    कविताअतुकांत कविता

    जिंदगी के पन्ने

    • Edited 4 years ago
    Read Now
    • 209
    • 3 Mins Read

    जिंदगी के पन्ने

    मेरी जिंदगी एक डायरी है
    डायरी में पन्ने चार
    जन्म लिया तो जीना है अब
    डर काहे का यार
    पहला पन्ना बचपन था
    जो बेफिक्री में बीता
    न कोई तब दुश्मन था
    न थी कोई चिंता
    दुजा पन्ना खोला तब
    आई
    Read More

    जिंदगी के पन्ने,<span>अतुकांत कविता</span>
    user-image

    कहानीहास्य व्यंग्य

    स्वर्ग की सैर

    • Edited 4 years ago
    Read Now
    • 543
    • 10 Mins Read

    फेसबुक, व्हाट्सएप और टीवी सब जगह एक ही खबर थी । 21 को दुनिया खत्म हो जायेगी । बहुत डर भी लग रहा था और चिंता में नींद भी आसपास नजर नहीं आई ।
    सोचते सोचते कब आंख लग गई पता ही न चला । आंख खुली तो अपने आपको
    Read More

    स्वर्ग की सैर,<span>हास्य व्यंग्य</span>
    user-image
    Balbir Singh

    Balbir Singh 4 years ago

    वाह ! बहुत खूब

    एमके कागदाना4 years ago

    शुक्रिया जी

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 4 years ago

    बहुत मनोरंजक रचना..!!

    कहानीप्रेरणादायक

    मुझे सुसाइड नहीं करना था

    • Edited 4 years ago
    Read Now
    • 544
    • 15 Mins Read

    मुझे सुसाइड नहीं करना था


    बात आज से 15 साल पहले की है ।घर में झगड़ा इतना बढ़ गया न चाहते हुए भी मैंने फांसी लगाकर सबको डराने की कोशिश की ताकि आगे से सास ननदें डर जायें और आगे कभी मुझे परेशान न करें।
    Read More

    मुझे सुसाइड नहीं करना था,<span>प्रेरणादायक</span>
    user-image

    कविताअतुकांत कविता

    प्रेम

    • Edited 4 years ago
    Read Now
    • 194
    • 4 Mins Read

    प्रेम

    उन नितांत अकेले पलों में
    जब मैं होती हूँ अकेली
    करती हूँ तुमसे बेइंतहा प्रेम
    तुम्हारी देह से नहीं
    तुम्हारी रूह से
    क्योंकि तुम्हारा इश्क़
    मेरी नस नस में
    हलचल पैदा कर देता है
    तुम्हें महसूस
    Read More

    प्रेम,<span>अतुकांत कविता</span>
    user-image

    कविताअतुकांत कविता

    विधुर पुरुष 2

    • Edited 4 years ago
    Read Now
    • 297
    • 4 Mins Read

    अक्सर विधुर पुरुष
    बहुत ही झुंझलाता है
    माँ का प्यार बच्चों पर
    जब नहीं लुटा पाता है
    माँ सा आंचल देना चाहता
    मगर नहीं दे पाता है
    फटेहाल ठिठुरती रातों में
    माँ नहीं बन पाता है
    अक्सर विधुर पुरुष
    बहुत
    Read More

    विधुर पुरुष 2,<span>अतुकांत कविता</span>
    user-image

    कविताअतुकांत कविता

    विधुर पुरुष

    • Edited 4 years ago
    Read Now
    • 551
    • 3 Mins Read

    विधुर पुरुष

    अक्सर विधुर पुरुषों के
    अधिकारों की गुर्राहट
    बेटियों के आगे
    बौनी हो जाती हैं
    वे समझते हैं
    औरतों की वल्यू
    कभी खीजते हैं
    झुंझलाते हैं
    किंतु बेटी के
    उलझे केश देखकर
    झटक देते हैं झुंझलाहट
    दूसरा
    Read More

    विधुर पुरुष,<span>अतुकांत कविता</span>
    user-image

    कविताअतुकांत कविता

    औरतें

    • Edited 4 years ago
    Read Now
    • 258
    • 5 Mins Read

    औरतें

    कभी सखियों संग
    चबुतरे पर बैठकर औरतें
    गुनगुना लेती थीं
    लोकगीतों में अपने दुख
    फिर सहज होकर
    जुट जाती थीं घर के धंधे में
    कभी बतियाती थीं चूल्हे संग
    बताती थीं उसे कि
    हम भी जलती हैं तुम्हारी मानिंद
    कभी
    Read More

    औरतें,<span>अतुकांत कविता</span>
    user-image

    कहानीसामाजिक

    समझदार दादाजी

    • Edited 4 years ago
    Read Now
    • 216
    • 4 Mins Read

    समझदार दादाजी

    "अरे! दादाजी ये आप गाँव के बाहर बैठकर आप ये क्या कर रहे हैं? जो भी शादी के कार्ड आते हैं उसे यूँ खंभे पर क्यों टांग रहे हैं? " रोहित ने साइकिल रोक कर रामफल दादा जी से पूछा ।
    "बेटा कोरोना
    Read More

    समझदार दादाजी,<span>सामाजिक</span>
    user-image
    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 4 years ago

    दादा जी की सजगता..!!

    एमके कागदाना4 years ago

    शुक्रिया सर