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Sahitya Arpan - jyoti batra
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jyoti batra

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  • कवितागीत

    रूह से रूह का मिलन

    • Edited 3 years ago
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    • 321
    • 3 Mins Read

    अपना तो है रूह से रूह का मिलन
    जिस्मों से थी , अपनी सांसे जुड़ी
    मांगा है तुमको ही सातो जनम
    ना होगी कभी दिल से दिल की बेरुखी
    अपना तो है ....

    तुमसे जुदाई, दिल सह ना सका
    अश्कों ने भी दामन,ना छोरा मेरा
    दिल
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    रूह से रूह का मिलन,<span>गीत</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बहुत सुंदर

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बढ़िया

    कवितागीत

    तुम जो मिले

    • Edited 3 years ago
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    • 251
    • 3 Mins Read

    तुम जो मिले जिंदगी मिल गई
    खोई हुई हर खुशी मिल गई
    थामा जो दामन यू प्यार से
    दिल को धड़कने की वजह मिल गई
    तुम जो मिले.....

    सांस ठहरी सी थी, लब भी थे बेजुबान
    सुना सुना सा था, ये सारा जहां
    तुमसे मिल के, जीने
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    तुम जो मिले,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    मैंने तो मांगा है बन्धन पिया

    • Edited 3 years ago
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    • 167
    • 3 Mins Read

    मैंने तो मांगा है बन्धन पिया
    टूटे ना अपना ये संगम पिया
    खींचे एक डोरी जो अनजानी सी
    उसी से बंधे है हम तुम पिया।।



    नजरें खामोश है दिल भी है बेजुबा
    आओ समझाऊं तुमको प्यार की दास्तां
    शीरी फरहाद सा
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    मैंने तो मांगा है बन्धन पिया,<span>गीत</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब 👌🏻

    Bhawna Sagar Batra

    Bhawna Sagar Batra 3 years ago

    बहतरीन पंक्तियां

    कविताअन्य

    मै आज भी वही हूं

    • Edited 3 years ago
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    • 128
    • 2 Mins Read

    दिल में मेरे आज भी वही उमंग है
    बस उम्र का तकाज़ा है,जिसने लाचार किया है
    मै एक अदाकारा थी, ता उम्र रहूंगी
    भले ही समाज ने आज, बहिष्कार किया है


    तो क्या हुआ जो नहीं चल पाती
    आज अपने कदमों पर
    मेरी बेसाखी
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    मै आज भी वही हूं,<span>अन्य</span>
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    कवितागजल

    सावन की बूंदे

    • Edited 3 years ago
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    • 135
    • 3 Mins Read

    सावन की बूंदों ने ऐसा जादू ढाया है
    मेरे मन में हसरतों को फिर से जगाया है
    चलो डूब जाए प्यार के सागर में
    रिम झिम बरखा ने गीत गाया है
    सावन की .....

    कोमल सा ये मन,सुनके बिरहा की धुन
    हो गया व्याकुल, देख सावन
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    सावन की बूंदे,<span>गजल</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    नारी

    • Edited 3 years ago
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    • 94
    • 3 Mins Read

    नारी अब्ला नहीं,
    ना बेबस, ना लाचार है
    नारी एक शक्ति है,
    इस सृष्टि का आधार है।

    नर भी नारी से है
    नारी से ये संसार है
    प्रेम का अनंत सागर है
    करुणा का भंडार है

    लाखो गम छिपाए
    चेहरे पर लिए मुस्कान
    हर
    Read More

    नारी,<span>लयबद्ध कविता</span>
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