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Sahitya Arpan - Shalini Sharma

कविताअतुकांत कविता

गूढ़ रहस्य

  • Edited 3 years ago
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  • 221
  • 3 Mins Read

तीव्र वेदना,
मस्तिष्क में अंतर्द्वंद
विवशता कैसी,
संवेदनाओं पर प्रश्न
गूढ़ रहस्य.....

प्रेम भी क्या बंधन है,
विचारों के दास हो तुम
या फंसे हो किसी
मृग-मरीचिका में
गूढ़ रहस्य.....

अस्वीकार कर आत्मा
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  गूढ़ रहस्य,<span>अतुकांत कविता</span>
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कहानीलघुकथा

मां से ही मायका

  • Edited 3 years ago
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  • 446
  • 9 Mins Read

निशा अपने मायके आई थी।अपनी बेटी को लेकर पहली बार,पर दरवाजे पर उसे कोई अपना इंतजार करता नहीं दिखा। ना ही किसी ने नजर उतारी। माँ जो नहीं थी, उनका स्वर्गवास हुए तीन महीने बीत गए थे।
दरवाजा खटखटाने
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मां से ही मायका,<span>लघुकथा</span>
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कवितालयबद्ध कविता

माँ

  • Edited 3 years ago
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  • 262
  • 3 Mins Read

तुम्हारी याद दिल से जाती नहीं
माँ अब तुम नजर कहीं आती नहीं
सूना है आँगन घर का और मेरे मन का
तुम्हारी चूड़ियाँ अब कहीं खनखनाती नहीं.....

याद आता है तेरे आँचल में छिप जाना
याद आता है तेरे हाथों का खाना
बचपन
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माँ ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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कहानीलघुकथा

"अपनेपन की खुशबू"

  • Edited 3 years ago
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  • 268
  • 8 Mins Read

मोना सुबह से बुखार में तप रही थी। उसका सर दर्द से फटा जा रहा था, शरीर में इतनी भी शक्ति नहीं थी कि वह उठकर खड़ी हो जाए। मोना का मुंह सूख रहा था पर उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह पानी भी ले सके।
मोना
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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब 👌🏻

Shalini Sharma3 years ago

बहुत आभार 🙏

कवितालयबद्ध कविता

प्रकृति की सुंदरता

  • Edited 3 years ago
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  • 172
  • 5 Mins Read

शीर्षक-"प्रकृति की सुंदरता"
=================
देखो सखी,सूर्य स्वर्णिम किरणें बिखेर रहा है।
हरियाली फैली चहूंओर, मौसम भी रंग बदल रहा है।

प्रकृति की सुंदरता ने
मेरे मन को मोह लिया।
रंग बिरंगे फूलों ने भी
मेरा
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 प्रकृति की सुंदरता,<span>लयबद्ध कविता</span>
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कवितालयबद्ध कविता

मैं नारी हूं

  • Edited 3 years ago
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  • 244
  • 5 Mins Read

"मैं नारी हूं"
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मैं कविता भी,मैं कर्ता भी।
मैं देवी भी,मैं दुर्गा भी।

मैं ही कर्तव्यों की वेदी पर
चढ़ी हुई एक फूल।
मैं ही दायित्वों की चौखट
पर पड़ी हुई धूल।

मैं क्रोध भी, मैं आक्रोश भी।
मैं
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 मैं नारी हूं,<span>लयबद्ध कविता</span>
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कविताअतुकांत कविता

संवेदना

  • Edited 3 years ago
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  • 234
  • 3 Mins Read

संवेदना

कहीं खोती और धूमिल होती,
पल-पल मरती संवेदनाएं,
दुख पीड़ा अत्याचार,
सर्वत्र फैली वेदनाएं,
है मनुष्य वही जो अनुभव करे
किसी के दुख और पीड़ा को,
वरना क्या रह जाता है जीवन में
खो के अपनी संवेदना
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संवेदना ,<span>अतुकांत कविता</span>
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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

achhee Rachna..!

Shalini Sharma3 years ago

धन्यवाद 🙏

कवितालयबद्ध कविता

भारत माता की संतान

  • Edited 3 years ago
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  • 376
  • 4 Mins Read

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"भारत माता की संतान"
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भारत माता की संतान है,
मां को ना झुकने देंगे हम।

हो जाएं शहीद तो क्या,
मरने का ना होगा गम।

भारत भूमि सदियों से
बलिदानों की गाथा कहती है।
वीरों की भूमि है ये,
हर
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 भारत माता की संतान,<span>लयबद्ध कविता</span>
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Vinay Kumar Gautam

Vinay Kumar Gautam 3 years ago

बहुत खूब

Shalini Sharma3 years ago

बहुत आभार

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर

Shalini Sharma3 years ago

बहुत आभार

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

बहुत सुंदर

Shalini Sharma3 years ago

बहुत धन्यवाद