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Sahitya Arpan - रानी सिंह
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रानी सिंह

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  • कवितागजल, अन्य

    जिंदगी

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 329
    • 1 Mins Read

    ए खुदा क्यों लिखा तूने इस तकदीर को पानी में,
    चाह कर भी कभी भर न सके रंग इन्द्रधनुष के|
    लिख देता अगर केनवस पर कहानी जिंदगी की,
    मन चाहा रंग भर रंगीन बन जाती दास्ता ए जिंदगी की||



    ©Rani Singh

    जिंदगी,<span>गजल</span>, <span>अन्य</span>
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    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    इसे आप फोर लाइनर कह सकती हैं

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    आपकी रचना अच्छी है मगर ग़ज़ल में कम से कम पांच शेर होते हैं और काफ़िया और रदीफ़ भी। इस लिहाज़ से देखें तो यह ग़ज़ल नहीं है।

    रानी सिंह3 years ago

    जी धन्यवाद बताने के लिए

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    आदरणीय आपकी यह कविता किसी भी रूप में ग़ज़ल प्रतीत नहीं होती है।

    रानी सिंह3 years ago

    आपको क्या प्रतीत होती है यह कविता

    कविताअन्य

    लाड़ो...ओ लाड़ो...

    • Edited 3 years ago
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    • 142
    • 5 Mins Read

    लाड़ो...ओ लाड़ो...
    माँ की लाड़ो,बाब की थी परी, वो थी भैया की छुटकी|
    डर जब भी लगता, माँ कहती आ जा बेटी आँचल में मेरी|
    बाबा कहते मेरी बहादूर बेटी,भैया कहते हमेशा करूँ रक्षा तेरी|
    रखूँगा लाज राखी का बहना
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    लाड़ो...ओ लाड़ो...,<span>अन्य</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    गुरूर तुम पर.....

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 135
    • 2 Mins Read

    बडा घमंड था मुझे तुम पर,था गुरूर भी बहुत तुम पर|
    था भरोसा तुम पर इतना मेरा,
    जोड लोगे इस टूटे दिल को तुम मेरा,
    छुडा कर न जाओगे तुम हाथ मेरा|
    मगर अफसोस , तुम भी दगा दे गये|
    जो कहता था हमेशा मुस्कुराते रहना,आज
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    गुरूर तुम पर.....,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कुलदीप दहिया मरजाणा दीप

    कुलदीप दहिया मरजाणा दीप 3 years ago

    उत्कृष्ट कृति

    Swati Sourabh

    Swati Sourabh 3 years ago

    बहुत सुन्दर

    रानी सिंह3 years ago

    जी शुक्रिया?

    कविताअन्य

    वृद्ध जीवन

    • Edited 3 years ago
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    • 188
    • 8 Mins Read

    सप्ताहिक कार्यक्रम,साहित्य उत्थान
    विषय- विधा
    काव्य वृद्धजन के सम्मान पर
    दिनांक-27/10/20
    रानी सिंह
    खड़गपुर(प.बंगाल)|

    वृद्ध जीवन
    नव विवाह दंपत्ती का हुआ स्वागत
    किया गृहप्रवेश हाथों में हाथ लिए|
    लेकर
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    वृद्ध जीवन,<span>अन्य</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत सुंदर रचना

    रानी सिंह3 years ago

    धन्यवाद!

    कविताअन्य

    खुली किताब

    • Edited 3 years ago
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    • 262
    • 3 Mins Read

    खुली किताब.....

    मैं एक खुली किताब,जिसे पढ़ न सके तुम कभी|
    पढना तो दूर, पन्ने भी पलटे न कभी||
    सपने आज भी अधूरे रहे गये,जिसे कर न सके तुमने पूरे कभी.....
    आस आज भी तुमसे ऐसी है, कि पूरी करोगे इनको तुम भी कभी....
    सारे
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    खुली किताब,<span>अन्य</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    तुमने कर लीजिए, थोड़ी बहुत टँकन त्रुटियाँ है कोई बात नही धीरे धीरे सभी सही हो जाएगा प्रयास अच्छा है आपका लिखती रहिये पोस्ट करती रहिये। और साथ ही सभी पोस्ट पर कॉमेंट भी करते रहिए।

    रानी सिंह3 years ago

    जी धन्यवाद!?बस आप ऐसे ही मार्गदर्शन कराते रहिए|