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London is the capital city of England.
कवितालयबद्ध कविता
सपनों में आकर हे प्रिय!
अंकपाश में लेते हो
नींद मधुर हो जाती है
नैनों की नैया खेते हो
लाज बनी है मधुयामिनी
दो आँखें जैसी सुहाग-दिन
आओ स्पर्श करो मन को
मैं बैठी हूँ क्षण-क्षण को गिन
शुष्क देह की पटिका
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कवितालयबद्ध कविता
पनों में आकर हे प्रिय!
अंकपाश में लेते हो
नींद मधुर हो जाती है
नैनों की नैया खेते हो
लाज बनी है मधुयामिनी
दो आँखें जैसी सुहाग-दिन
आओ स्पर्श करो मन को
मैं बैठी हूँ क्षण-क्षण को गिन
शुष्क देह की पटिका
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ठाँव शब्द समझ नही आया ? शायद मैंने पहली बार सुना है। बाकी रचना पढ़ी बहुत सुंदर लिखती हैं आप ?
कविताअतुकांत कविता
अपनी उड़ान को...
सुनो !भारी हो गए हैं तुम्हारे पंख
झटक दो इन्हें एक बार
उड़ान से पहले इनका हल्का होना
बहुत आवश्यक है
इन पर अटके हैं कुछ पूर्वाग्रह
कुछ कुंठाएँ जिन्हें तुमने सहेजा है
और सहेजे जा
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