भावों की दवात भरी कर्म रूपी कलम से अपनी रचनाओं को जीवन रूपी किताब में प्रस्तुत करती हूँ।
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London is the capital city of England.
कवितालयबद्ध कविता
आओ माँ मन-मंदिर में प्रेम के दीप जलायेंगे।
श्रद्धा,भक्ति,करूणा से इस मंदिर को सजायेंगे।।
दृग बिंदु भरे जल से चरण कमल तेरे पखारेंगे।
भावरूपि फल अमृत का रुचिकर भोग लगायेंगे।।
माँ तुम कल्याणी
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लेखआलेख, अन्य
प्यारी मां,
माँ,आपके जन्मदिन पर बहुत बहुत बहुत सारी शुभकामनाएं।माँ,मैं आपको आपके जन्मदिन पर क्या तोहफा दूं,आपने तो मुझे खुद जन्मा है।आज आपके प्रति यह दिल खोलकर दे रही हूँ। माँ,तुम सच में ईश्वर
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सुविचारअनमोल विचार
जीवन एक बहता प्रवाह है इसलिए निरंतर सीखते रहित और चलते रहिए।
कहानीसामाजिक, प्रेरणादायक
1.अहमियत-रिश्तों की डोर
"रिद्धिमा रिद्धिमा"उठो यार आज तुम्हारे रैंपवॉक का टाइम होने वाला है। उसकी सहेली शेफाली ने पानी पीते हुए रिद्धिमा से कहा।रिद्धिमा झुमके पहन रही थी।शेफाली यह कहकर हँस
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कहानीप्रेरणादायक
"का भयो है? कछु मोइए बताओ।"-माधुरी जी ने नर्स ते पूछो।
"का भयो है? जे पूछो गजब भयो। टेस्ट कैसे फेल है सके है। छोरी भई है।"- माधुरी के छोरा विवेक ने कही।
"हैं रे! नर्स बहन, ऐसे कैसे है सके? टेस्ट करवायो
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कहानीसामाजिक
रामचरन-"अबकी चुनिया का ब्याह धूमधाम से करेंगें।अच्छी पैदावार हुई है।"
रीता-"हाँ,सही कह रहे हो। मंडी-समिति जाकर खाना खा लेना। रख दिया है।"
(मंडी-समिति)
रामचरन-"साब,मेरे अनाज की बोली लगवा
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कविताअन्य
कब,कहाँ,क्या,क्यों,कैसे के सवालों में उलझ गई।
बेरोजगारी,भूखमरी,अशिक्षा जैसे मुद्दों से भटक गई।
जाने यह कैसी निष्पक्ष है मीडिया…।
चौबीस घंटे एक ही खबर भेड़चाल सी चल पड़ी।
खबर देना छोड़ जनता को खुद
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कवितालयबद्ध कविता
पिता की दहलीज़ लाँघकर
कन्या जब घर आती है।
खिलखिलखती हँसी,प्यार,शुभ,
श्री,लक्ष्मी,रौनकें हजार लाती है।।
माँ की दहलीज़ पारकर
बेटी जब विदा होती है।
ढ़ेर सारा आशीष, स्नेह
सुखमय जीवन की दुआ लेती है।।
पति
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कहानीसामाजिक
अनुष्का हाथ में नाईंथ का परीक्षा परिणाम लिए सड़क किनारे काफी देर से गुमसुम सी खड़ी थी। क्या करूँ ,कहाँ जाए उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था।अनुष्का की उम्र कोई सोलह-सत्रह साल थी।शाम भी धीरे-धीरे घिरने लगी
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कहानीप्रेरणादायक
"एक लड़को हेतो तो सही रहतो, काम आतो। छोरिन की का है ब्याह हेकै अपने ससुराल चली जावेंगी।"- रामधन ते माँ सुखिया ने कही।
"माँ, तीन छोरी है गई हैं। अब चौथीई छोरी न है जाबै। मोरे भाग में छोरी ही छोरी लिखी भई
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लेखआलेख
राम..यह दो अक्षर का छोटा शब्द है परंतु यह शब्द गहन अर्थ लिए है। राम मात्र भगवान नहीं है अपितु संपूर्ण मानव-जाति के जीवन में रसे-बसे हैं। राम नाम की जड़े इतनी गहरी हैं कि जिसकी वंश बेल में आज भी संपूर्ण
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कवितालयबद्ध कविता
शीर्षक- मेरी प्यारी हिंदी
माथे पर सजती है बिंदी तभी मातृभाषा कहलाती हिंदी।
अलंकार से सजी हुई है वस्त्र समास के ओढ़ती है हिंदी।।
सभी भाषाओं का उद्भव सबकी माता कहलाती हिंदी।
बृज,अवधि,बुंदेली,खड़ी,मैथिली
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