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London is the capital city of England.
कविताअतुकांत कविता
माना की जिंदगी में साधन का आभाव है,
मेरे अंदर फिर भी जिंदा रहने का चाव है।
माना की शायद कभी सिनड्रेला नहीं हो सकती,
तो क्या हुआ अपने मन की परी तो हूं हो सकती।
खुश रहने के लिए साधन नहीं जुनून चाहिए,
पैर
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कविताअतुकांत कविता
बहुत आसान है हादसों के बाद मोमबत्तियां लेकर सड़कों पर उतरना,
करना है तो करो इतना कि खुद की नजरों से किसी को ना कर बरहना।
सुनते है गर चीखें किसी की कान ना बंद कर के तुम गुजरना,
थोड़ी सी हिम्मत कर उस
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एक सच्चाई और समाज की मानसिकता पर चोट करती हुई रचना। बेहद संवेदनशील लिखा है किरन
Thank you di
कविताअन्य
माना कि जरूरी है चहुंमुखी विकास होना सबका मगर,
देश या जन आगे ना बढ़ सकेगा मातृ भाषा को भूलकर।
ना भुला है फ्रांस फ्रेंच ना अरब अरबी और ना इटली इटेलियन,
तो फिर क्यों हम हिंदी भाषी भूल जाते है अपनी हिंदी।
शान
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कविताअतुकांत कविता
कभी तुमने सोचा है अपना क्या है?
ना जिस्म, ना रूह, ना धड़कन, ना सांसे।
फिर क्यूं ये होड़ ये दौड़ना ये तोड़ना,
जब्त करना सब कुछ और बेवजह की चाहते।
क्यूं आसान नहीं है कि थोड़े में खुश हो ले,
क्यूं सब कुछ
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वाह बहुत खूब यथार्थ से भरी कविता
आभार दी। छोटी सी कोशिश।
कविताअतुकांत कविता
किताबे-इश्क़
किताबे इश्क़ सा मुक्कमल और अधूरा इश्क़ नहीं,
की आगाज और अंजाम एक दूसरे से हरगिज़ जुदा नहीं।
करते है जो किताबे इश्क़ जिंदगी में ताउम्र हर दौर में,
तालीम मिलती है उन्हें हर हर्फ़ और
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