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Sahitya Arpan - kiran k
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kiran k

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  • Reader Points 135

  • कविताअतुकांत कविता

    जीने का चाव

    • Edited 3 years ago
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    • 177
    • 3 Mins Read

    माना की जिंदगी में साधन का आभाव है,
    मेरे अंदर फिर भी जिंदा रहने का चाव है।

    माना की शायद कभी सिनड्रेला नहीं हो सकती,
    तो क्या हुआ अपने मन की परी तो हूं हो सकती।

    खुश रहने के लिए साधन नहीं जुनून चाहिए,
    पैर
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    जीने का चाव,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    हादसों कि मोमबत्तियां

    • Edited 3 years ago
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    • 273
    • 4 Mins Read

    बहुत आसान है हादसों के बाद मोमबत्तियां लेकर सड़कों पर उतरना,
    करना है तो करो इतना कि खुद की नजरों से किसी को ना कर बरहना।

    सुनते है गर चीखें किसी की कान ना बंद कर के तुम गुजरना,
    थोड़ी सी हिम्मत कर उस
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    हादसों कि मोमबत्तियां,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Alok Singh

    Alok Singh 3 years ago

    Wahhhh

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    एक सच्चाई और समाज की मानसिकता पर चोट करती हुई रचना। बेहद संवेदनशील लिखा है किरन

    kiran k3 years ago

    Thank you di

    कविताअन्य

    हिंदी हमारी पहचान

    • Edited 4 years ago
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    • 201
    • 3 Mins Read

    माना कि जरूरी है चहुंमुखी विकास होना सबका मगर,
    देश या जन आगे ना बढ़ सकेगा मातृ भाषा को भूलकर।

    ना भुला है फ्रांस फ्रेंच ना अरब अरबी और ना इटली इटेलियन,
    तो फिर क्यों हम हिंदी भाषी भूल जाते है अपनी हिंदी।

    शान
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     हिंदी हमारी पहचान ,<span>अन्य</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    अपना क्या है

    • Edited 4 years ago
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    • 150
    • 3 Mins Read

    कभी तुमने सोचा है अपना क्या है?
    ना जिस्म, ना रूह, ना धड़कन, ना सांसे।

    फिर क्यूं ये होड़ ये दौड़ना ये तोड़ना,
    जब्त करना सब कुछ और बेवजह की चाहते।

    क्यूं आसान नहीं है कि थोड़े में खुश हो ले,
    क्यूं सब कुछ
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    अपना क्या है ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 4 years ago

    वाह बहुत खूब यथार्थ से भरी कविता

    kiran k4 years ago

    आभार दी। छोटी सी कोशिश।

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 4 years ago

    Suvichar .. !

    kiran k4 years ago

    आभार महोदय

    कविताअतुकांत कविता

    किताबे - इश्क़

    • Edited 4 years ago
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    • 178
    • 2 Mins Read

    किताबे-इश्क़

    किताबे इश्क़ सा मुक्कमल और अधूरा इश्क़ नहीं,
    की आगाज और अंजाम एक दूसरे से हरगिज़ जुदा नहीं।

    करते है जो किताबे इश्क़ जिंदगी में ताउम्र हर दौर में,
    तालीम मिलती है उन्हें हर हर्फ़ और
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    किताबे - इश्क़,<span>अतुकांत कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 4 years ago

    बढ़िया

    kiran k4 years ago

    धन्यवाद दी

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 4 years ago

    अच्छी कोशिश

    kiran k4 years ago

    धन्यवाद आपका