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Sahitya Arpan - Shweta Nimbark
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Shweta Nimbark

Writer's Pen Name not added

गढ़े मुर्दे कब्र में ही तुम रहने दो,
चर्चा ज़रा आज पर ही कर लो,
ये शाम भी गुज़र यूँ ही जाएगी,
आयी खाली हाथ,
खाली हाथ ही लौट जाएगी।
-श्वेता निम्बार्क

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  • कविताअतुकांत कविता

    माँ ...जो मैंने तुम्हें कभी न बताया

    • Edited 4 years ago
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    • 235
    • 4 Mins Read

    माँ ...जो मैंने तुम्हें कभी न बताया

    मेरी खुशबू में बसी तेरी पहचान,
    तू मेरा आत्मविश्वास,मेरा सम्मान,
    उठा है सर हमेशा तेरे गुरूर से,
    पाला है तूने कुछ ऐसे जुनून से,
    परछाई की तरह चली है तू हमेशा,
    हाँ,तू
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       माँ ...जो मैंने तुम्हें कभी न बताया,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    सुकून

    • Edited 4 years ago
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    • 318
    • 3 Mins Read

    सुकून

    एक तेरा सफ़र, एक मेरा सफ़र,
    एक तेरा जुनून, एक मेरा जुनून,
    प्रतीत हुए कुछ इस तरह,
    थे अलग जैसे कभी नहीं,
    खामियां हमारी कुछ ऐसे घुल गयीं
    अब क्या तुझमें कमी, क्या मुझमें कमी,
    ढूंढा था जिसे,मिला
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    सुकून,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    निःशब्द कर दिया